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Description
कारोबारे तमन्ना
समस्या बड़ी हो या छोटी, उसका प्रभाव समाज के छोटे-से हिस्से पर हो या देशव्यापी हो, नियम-कानून द्वारा उस पर कितना काबू किया जा सकता है ? यह मुद्दा विचारणीय है। यह वास्तविकता है कि समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की पहचान की जाए तो समस्या से मुक्ति मिल सकती है। इस दिशा में रचनाकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। वह समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की न केवल पहचान करता है, बल्कि उनके विरुद्ध अवाम की मानसिकता का निर्माण करने की जिम्मेदारी भी निभाता है। वेश्यावृति का ज्वलंत मुद्दा उपन्यास कारोबारे तमन्ना के केंद्र में है। निम्नवर्गीय मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामजिक पृष्ठभूमि में वेश्यावृति के कारणों की जांच-पड़ताल की गई है।
उपन्यास वेश्याओं की जटिल जीवन-शैली और उस वृत्ति के निर्माण की पूरी प्रक्रिया यथार्थ के धरातल पर प्रस्तुत करता है। यह रचना अपनी सम्पूर्णता में उसका विरोध भी करती है। राही मासूम रजा के औपन्यासिक कर्म की मुख्यधारा के बरक्स कारोबारे तमन्ना की खूबी इसके दिलचस्प होने में है। यह अपने कथ्य के आधार पर विशिष्ट है। हिंदी साहित्य की मुख्यधारा में लिखे उपन्यासों से इतर राही ने शाहिद अख्तर और आफाक हैदर नाम से उर्दू भाषा में कई उपन्यासों की परंपरा में परिगणित होने के कारण कभी चर्चा के लायक ही नहीं समझे गए। कारोबारे तमन्ना को डॉ. एम्. फिरोज खां ने लिप्यन्तरित कर हिंदी पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है। राही मासूम रजा के असंख्य पाठकों हेतु एक संग्रहणीय पुस्तक।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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