Katha Ka Saundarya Shastra

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Katha Ka Saundarya Shastra

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400.00 350.00

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400.00 350.00

Author: Prabhakar Shrotriya

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9789386604712

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

कथा का सौंदर्य शास्त्र

हिंदी आलोचना के सिरहाने बैठे डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय का सुरीला पाठ उनकी कृति ‘कथा का सौंदर्य शास्त्र’ में ध्वनित हुआ है। अपने वृहत्तर आलोचना कर्म में उन्होंने कृति केंद्रित काम अपेक्षाकृत कम ही किए। कृति या रचनाकार केंद्रित कथा साहित्य में उनकी आलोचना इस प्रवृत्ति की द्योतक है कि उन्होंने नियमित रूप से कथा आलोचना का काम कभी नहीं किया, जिसे ‘जमकर लिखना’ कहते हैं। वैसे समकालीन साहित्य का प्रस्तुतीकरण उनके समग्र लेखन में कम ही हो सका, मगर सत्य और तथ्य यह भी है कि समकालीन लेखकों की कृतियों से वह हरदम बाखबर रहे।

प्रेमचंद्र, जैनेंद्र, नरेश मेहता, गिरिराज किशोर, गोविंद मिश्र, राजेंद्र यादव, चित्रा मुदूगूल और राजी सेठ जैसे सिद्ध सर्जकों पर उनकी समीक्षाएं उनकी इस कृति में हैं तो सूर्यकांत नागर और राजेंद्र मिश्र जैसे लगभग अलक्षित कथाकारों पर भी उन्होंने लिखा है, जिसे आलोचना की ऊष्मा भरी अंतर्यात्रा कह सकते हैं। एक आलोचक की अंतर्दृष्टि और अचूक विश्लेषण क्षमता ने इस कृति को मूल्यवान दृष्टिकोण सौंपा है। हिंदी आलोचना के ढुलमुल रवैये के दलदल से दूर हिंदी कथा साहित्य का यह अध्ययन पारदर्शी मूल्यांकन मूल्यों की पुनर्स्थापना जैसा गंभीर काम है।

कृति से गुजरते हुए पाठक को अनुभव होगा कि किसी कृति की देह और आत्मा को देखने के लिए किस रंग, आयाम और दृष्टि की जरूरत होती है। यह तभी संभव हो पाता है, जब रचना की आलोचना भी एक सशक्त ‘रचना’ होने लगती है। इस कृति में प्रभाकर श्रोत्रिय की कलम से निकला हर वाक्य कृति और कृतिकारों पर निजी आभा फेंकता है। आलोचकीय आग्रह इतना भर है कि उन स्थितियों को पकड़ा-थामा जा सके, जिनके इर्द-गिर्द रचनाओं का सृजन संभव हुआ और फिर उसके नख-शिख को समाज, राजनीति और अंततः मानव मन के स्तर पर परखा जा सके। इसी के चलते प्रभाकर श्रोत्रिय अगर कहीं कटु और तुर्श भी हुए हैं तो सिर्फ आलोचक की ईमानदारी को बचाए रखने के लिए। ऐसे समय में जब आलोचना पूर्वाग्रहों का बदशक्ल चेहरा बन गई है, प्रभाकर श्रोत्रिय की कथा आलोचना की यह किताब ईमानदार छांह की तरह संतोष की सांस लेने का उपक्रम रच रही है।

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Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pulisher

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Publishing Year

2018

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