Katha Vivechna Aur Gadya Shilp
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Description
कथा विवेचना और गद्यशिल्प
‘कथा विवेचना और गद्यशिल्प’ नाम के इस संकलन में कुछ निबन्ध कथाकारों पर हैं, कुछ विवेचकों पर तथा शेष ऐसे गद्यशिल्प पर जिसे कथा या विवेचना की परिधि में नहीं रखा जा सकता। चाहे कलात्मक गद्य हो चाहे विवेचनात्मक, अच्छा गद्य लिखना आसान काम नहीं है। गद्य की आलोचना लिखना और भी कठिन है। मैं इस कठिन कार्य से बचता रहा हूँ। प्रयोग रूप में कुछ छोटे-बड़े निबन्ध यहाँ प्रस्तुत हैं। ये सब लगभग चालीस साल की अवधि में लिखे गये हैं, अधिकांश पुराने निबन्ध संग्रहों में छपे हैं पर वे संग्रह अब अप्राप्य हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो यहाँ पहली बार संकलित हैं।
मेरी पुस्तकों के कुछ नये पाठक ऐसे हैं जो बात ही नहीं, बात की जड़ तक पहुँचना चाहते हैं। मुझे आशा है कि इस तरह के संकलन उनके लिए विशेष रोचक होंगे। क्या पाठक और क्या लेखक हिन्दी गद्य के विकास में दोनों के योगदान की बड़ी गुंजाइश है। विवेचनात्मक गद्य कलापूर्ण हो और कलात्मक गद्य विवेकपूर्ण हो, यह सम्भव है। ऐसे गद्य के विकास में लेखकों और पाठकों के योगदान के लिए उनका परस्पर सहयोग अपेक्षित है।
– पुस्तक की भूमिका
Additional information
Binding | Hardbound |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher |
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