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Description
कठगुलाब
प्रस्तुत है प्रतिष्ठित हिन्दी कथाकार मृदुला गर्ग का नवीनतम उपन्यास ‘कठगुलाब’। यह सत्य है कि नितांत वैयक्तिक कुछ नहीं होता और न नितांत सामाजिक। दरअसल व्यक्ति के माध्यम से समाज को और समाज के माध्यम से व्यक्ति को परखना होता है। कहना न होगा कि यह व्यक्ति जब स्त्री होती है तो अंतःसंबंध और अधिक जटिल एवं दिलचस्प हो उठते हैं। ‘कठगुलाब’ उपन्यास ऐसी ही अनेक औरतों की जिंदगी का जायजा लेता हुआ जीवन के वे तमाम संगत-असंगत तत्त्व खोज लेता है,जो कभी व्यक्ति से जोड़कर और कभी तोड़कर एक सतत गतिशील समाज को जन्म देते हैं।
‘कठगुलाब’ जैसी रचना को हम न यथार्थवादी लेखन के फुट्टे से नाप सकते हैं, न उत्तर आधुनिकता के फतवे देकर अलग कर सकते हैं। यह उपन्यास गहरे आत्मनिरीक्षण का अवसर देकर यह चेतावनी देता है कि नारी को ऊसर करती जा रही सामाजिक व्यवस्था आत्मघाती नहीं तो क्या है ‘कठगुलाब’ एक बड़ा और कड़े बौद्धिक अनुशासन में रचा गया उपन्यास है। एक आलोचक के शब्दों में, यह उपन्यास एक आँधी की तरह हमें झकझोरता है…
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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