Katl Gair Iradtan

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Katl Gair Iradtan

Katl Gair Iradtan

330.00 245.00

In stock

330.00 245.00

Author: Raju Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 352

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789389830071

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

क़त्ल गैर इरादतन

‘क़त्ल गैर इरादतन’ राजू शर्मा का चौथा उपन्यास है। यह क़त्ल ग़ैर इरादतन है। किसकी ? ज़ारा अफ़रोज़ की-पर इस हत्या के संदर्भ में नैरेटर कहता है कि इसके बाद ज़ारा अफ़रोज़ हत्या केस में क्या हुआ-वह इस कथा का विषय नहीं है और भौतिक रूप में हत्या भी एक यही हुई है किंतु वास्तव में यहाँ हत्या की श्रृंखलाएँ हैं। न्याय की हत्या, संवेदना की हत्या, मनुष्य के कोमल भावों की हत्या, व्यवस्था की हत्या और सबसे ऊपर मनुष्य होने के भाव की हत्या…जिस रूप में ज़ारा की भौतिक हत्या होती है अनचाहे और अनजाने-व्यवस्था और समाज भी उसी तरह अपने नागरिकों द्वारा रोज और निरंतर मारा जा रहा है। उपन्यासकार के रूप में हत्या जैसे विषय से जिन व्यापक सामाजिक संदर्भों को राजू शर्मा ने उठाया है, वह उनकी औपन्यासिक क्षमता का प्रस्त्रोता तो है, इस उपन्यास का वैशिष्ट्य भी है।

ये हत्याएँ, आखिर तक ठोस रूप में हत्या बनी रहती हैं, यह उपन्यास की सिद्धि है। यह इसलिए, क्योंकि उपन्यास में तो पात्र-एसपी, पायल, कांत, मिकी, डीएम हत्या करते हैं और व्यवस्था के बरअक्स हत्या ही तर्कसंगत लगती है। इसकी संगति टूटती है उस अंतःसलिला से, जो उपन्यासकार चुपचाप टाँकता चलता है। यह मनुष्यता का पक्ष है। मनुष्य होने का भाव है। वत्स जी का होना, अफ़रोज्ञ बहनों का होना इस कातिल व्यवस्था के समक्ष कमजोर ही सही पर मनुष्य की, मनुष्यता की उपस्थिति है।

उपन्यास मध्य वर्ग के महत्त्वाकांक्षाओं का परिणाम है, जिसमें उसका होना ही सब कुछ है। उसकी भवता, उसकी सिद्धि, उसकी निरंतर प्रगति ही उसका एकमात्र लक्ष्य है। अब मध्य वर्ग व्यवस्था और सत्ता में अपनी हिस्सेदारी चाहता है। वह परंपरागत मध्य वर्ग की तरह अपनी निष्ठाओं और अपने आदर्शों से चिपका नहीं है। यह भी हत्या का एक रूप है। पर मध्यवर्गीय आदर्श में जो भटकाव हुआ और उसमें जो नयी महत्त्वाकांक्षाएँ उपन्न हुईं, उसने समाज की आधारभूत संरचना में बदलाव उत्पन्न किया। एक मूल्य के रूप में या एक हत्या के रूप में यह पूरा उपन्यास इस बदलाव और महत्त्वाकांक्षा को रेखांकित करता है। कांत का एक संवेदनशील से क्रूर व्यक्तित्व में रूपांतरण, पायल और कांत तथा एसपी आदि का अपनी सुविधा के अनुसार गलत तथ्य सही मानना या मुद्दे और सामाजिक के अनुसार आचरण का बदलना-ये इसी कारण हैं। पायल झूठ स्वीकार करने के लिए तैयार बैठी थी, केवल उसे तर्क की बैशाखी चाहिए थी, कांत मुहैया कराता है।

इस उपन्यास में उठाये गये विषय और उनके साथ जो ट्रीटमेंट लेखक ने किया है, उसमें लेखक की भाषा बहुत महत्त्वपूर्ण है। भाषा प्रांजल तो है ही, साथ ही वह शहरी कामकाजी मध्य वर्ग की भाषा का जीवंत नमूना है। मध्यवर्गीय चेतना की संप्रेषण योग्य भाषा ही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। इसमें उर्दू और अँग्रेज़ी के शब्द आसानी से घुले-मिले हैं। साथ ही घटनाओं की बुनावट भी इसमें बहुत कुशल और सूक्ष्म है।

– अमिताभ राय

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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