Keelein

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225.00 190.00

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Author: S.R Harnot

Availability: 4 in stock

Pages: 146

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9789388684767

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

कीलें

एस. आर. हरनोट लम्बे समय से कहानियाँ लिख रहे हैं। हिन्दी कथा-साहित्य में उनकी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि वे केवल अपनी पीढ़ी के ही नहीं बल्कि नयी पीढ़ी को भी अपने नितनवीन विषय, लोक की भाषा और शिल्प से चमत्कृत करते हैं। हरनोट की कहानियों में पहाड़ केवल पहाड़ के रूप में नहीं बल्कि अपने पूरे परिवेश के साथ उपस्थित होता है। समय के विकास के साथ भूमण्डलोत्तर पहाड़ी जीवन में आये बदलावों, टूटते रिश्तों, सांस्कृतिक परिवर्तनों और स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के साथ रूढ़ियों की टूटती जंज़ीरें जिस झनझनाहट के साथ हरनोट की कहानियों में आती हैं वे विस्मय उत्पन्न नहीं करतीं बल्कि यह सोचने को विवश करती हैं कि हरनोट अपने परिवेश के प्रति कितने सजग हैं। यह सजगता उन्हें चौकन्ना बनाये रखती है। इसलिए हरनोट अपने को दुहराते नहीं हैं। हरनोट के पास अपनी भाषा है जिसे वे अपनी तरह प्रयोग करते हैं। भाषा परिवर्तनशील है, बाहरी लोगों के सम्पर्क में आने के बाद भाषा बदलती है, जिसे हर आदमी बोलता तो है। पर उस परिवर्तन की तह में नहीं जा पाता। हरनोट उसकी तह में जाते हैं और उन परिवर्तनों को सामाजिक परिवर्तनों के साथ प्रस्तुत करते हैं। यह केवल भाषागत प्रयोग नहीं है बल्कि परिवेश की अनिवार्यता है, जो उनकी कहानियों का वैशिष्ट्य बनती है।

हरनोट की कहानियाँ अपने समय का विशेष रेखांकन हैं, जिन्हें सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के सन्दर्भ में देखने पर नये अर्थ खुलते हैं। हरनोट का यह नया कहानी संग्रह इक्कीसवीं सदी के उजास और अँधेरों की कहानियों का अनूठा संग्रह है, जिसका हिन्दी जगत में स्वागत होगा, यह विश्वास है ।

– प्रो. सूरज पालीवाल

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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