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Description
खामोशी से पहले
वो ख़ामोशी की नदी मेरी याद में बहती हैं और इस किनारे की छाती में जब दूसरे किनारे का इश्क धड़कता और बिरहा रगों में चलता मैं उठकर नदी पर जाती हूं अक्षरों का सेतु बनाती हूं पर सेतु पर खड़ी होती हूं तो न कोई आर दिखता हैन कोई पार दिखता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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