Khel Khel Mein Bachchon Ka Vikas

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Khel Khel Mein Bachchon Ka Vikas

Khel Khel Mein Bachchon Ka Vikas

280.00 240.00

In stock

280.00 240.00

Author: Meena Swaminathan & Prema Daniel

Availability: 5 in stock

Pages: 214

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788123753973

Language: Hindi

Publisher: National Book Trust

Description

खेल खेल में बच्चों का विकास

3 से 5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए लगभग दो सौ खेल गतिविधियों की यह किताब उपयोग में आसान तथा हस्तलाघव है। कक्षा के आयोजन तथा प्रबंधन के अलग अध्याय के साथ विकास के विभिन्न क्षेत्रों के अनुरूप सभी खेल सात समूहों में सन्निहित हैं। किताब में चित्रों और उदाहरणों का भरपूर उपयोग किया गया है।

अध्याय 1

यह किताब विगत सौ वर्षों के दौरान असंख्य अध्ययनों द्वारा संबलित उस मान्यता पर आधारित है कि खेल एक माध्यम है जिससे बच्चे सीखते हैं। इसलिए प्रारंभिक शिशु शिक्षा कार्यक्रमों के शिक्षकों/कार्यकर्ताओं/देखरेख करने वालों का बच्चों तक पहुंचने/उन्हें पढ़ाने के उद्देश्य से खेल गतिविधियों और उनके विविध आयामों से परिचित होना आवश्यक है।

खेल क्या है ?

हम सभी ने बच्चों को खेलते हुए देखा है, फिर भी खेल की परिभाषा करना कठिन है। चार महीने के किसी अबोध का पैर मारते या हाथ फेंकते, किसी नाचती गुड़िया को देखकर खुशी से किलकते देखना आम बात है। अठारह महीने के बच्चे या बच्ची को अपनी मां की बगल में बैठकर दो थालियों और बर्तनों को एक साथ, बीच-बीच में कलछी से बजाते देखा जा सकता है। चार-पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चे कुछ पत्तों और फूलों को एक पंक्ति में सजाकर उल्लसित मन से उछलते-कूदते देखे जा सकते हैं, मानो यह कोई उत्सव हो। ये सब खेल के उदाहरण हैं। बच्चों की स्वतःस्फूर्त प्रायः सभी गतिविधियां अपने स्वाभाविक संदर्भ में खेल के दृष्टांत हैं।

खेल बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण है, और बच्चे अपने अनुकूल वातावरण के निर्माण में सक्रियता से भाग लेते हैं। इसलिए शैक्षिक वातावरण, जिसमें खेल के अधिक से अधिक अवसर होते हैं, बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है। खेल के दौरान देखा जा सकता है कि बच्चे–

  • जो कर रहे होते हैं उसमें लीन रहते हैं
  • गतिविधि का प्रारंभ प्रायः हमेशा स्वयं करते हैं;
  • अंदर से आनंद का अनुभव करते हैं;
  • कुतूहल दिखाते हैं और कुछ नया करने की ललक प्रकट करते हैं। किंतु यह आवश्यक नहीं कि बच्चे केवल सीखने के लिए खेलें।

खेल इन बातों का विकास भी करता है

  • शरीर पर नियंत्रण की दक्षता
  • खोज की प्रवृत्ति और विलक्षणता
  • सर्जनात्मकता
  • सामाजिक शिक्षा
  • भावात्मक संतुलन
  • भाषा पटुता

इस प्रकार प्रारंभिक शिशु शिक्षा के उद्देश्य खेल की इन विशेषताओं के समरूप हैं। पढ़ाई और खेल एक ही विषय के दो पहलू हैं।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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