Khilafat

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430.00 325.00

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Author: Govind Mishra

Availability: 5 in stock

Pages: 216

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788193732618

Language: Hindi

Publisher: Kitabghar Prakashan

Description

खिलाफत

‘‘अब्बा हुजूर ! हम पढ़े-लिखे लोग हैं, तो कभी मज़हबी नज़रिये से थोड़ा अलग हटकर भी हमें देखना चाहिए, अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए। दुनिया में मुसलमान जो इस वक्त एक तरह के तूफान में फँसा हुआ है, उसमें हम मुसलमानों ने ही खुद को डाला है…मिडिल ईस्ट की पाक ज़मीं पर इस्लाम के  कितने फिरके  आपस में लड़-झगड़ रहे हैं, मुसलमान ही मुसलमानों को मार रहे हैं…

हिन्दुस्तान में जिहादी, हमारे अशरफ जैसे एक-दो ही हुए। यह इसलिए कि यहाँ कितने मज़हब, कितनी जातियाँ, कितने खयालात…कितने-कितने सालों…पहले तो साथ रहने को मजबूर हुए, फिर रहने लगे, रहते-रहते एक दूसरे से लेने-देने सीखने लगे। सदियों की इस ‘चर्निंग’ को हमें पहचानना चाहिए…

सऊदी इस्लाम की जगह हिन्दुस्तानी इस्लाम क्यों नहीं…जो हिन्दुस्तान में कुदरतन ईजाद हो चुका है…जिस तरह इतने मज़हब यहाँ साथ रहते हैं, वैसे ही इस्लाम के मुख्तलिफ फिरके मिडिल ईस्ट या कहीं भी क्यों नहीं रह सकते…’’

इस्लामिक स्टेट…अबूबकर बगदादी की ‘खिलाफत’ के परिवेश पर लिखा गया हिन्दी का पहला उपन्यास…आई.एस. सम्बन्धी विस्तृत जानकारियों के बीच, यहाँ कई अहं सवालों को उठाया गया है, जैसे कि आज अगर इस्लाम को दुनिया अपने सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती को रूप में देख रही है तो क्यों…इस्लाम अमन का मज़हब है या कि जंग का…दूसरे मज़हबों की तरह वक्त के साथ-साथ इस्लाम भी क्यों नहीं बदलता या खुद को बदलने देता… नौजवानों की जि़न्दगी बेहतर बनाने की बजाय वह उन्हें जिहाद की आग में क्यों झोंक देता है, लड़कियों की शिक्षा, आज़ादी…और इस सबके नीचे अन्डरकरैन्ट की तरह कश्मीर की समस्या।

कश्मीर की शिया लड़की, सुन्नी लड़का…दोनों में बचपन से प्रेम, उनके निष्कलुष सपने…उल्टी बहती हवा उन्हें किस तरह अपनी जद में ले लेती है और वे किस तरह बाहर निकलने की कोशिश करते हैं…अबूबकर की खिलाफत के खिलाफ उनकी खिलाफत क्या शक्ल इख्तियार करती है…

हर बार की तरह गोविन्द मिश्र अपने इस नये उपन्यास में फिर नये परिवेश, नये विषय के साथ प्रस्तुत हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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