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खुद से जीते
जीवन क्या है ? जीवन की उपलब्धियाँ क्या हैं ? जीवन के संघर्ष, उसकी सीमाएँ, उसकी अनन्तता क्या है ? जब मनुष्य इन प्रश्नों पर विचार करता है तो यह वह स्थिति होती है जो उसे आत्म-केन्द्रित करती है। इस स्थिति में मनुष्य स्वयं से संवाद करता है। कभी ख़ुद को परिष्कृत करता है तो कभी स्वयं को नकार भी देता है इसी प्रक्रिया के द्वारा ही मनुष्य उन बिन्दुओं पर अपना ध्यान लगाता है जहाँ वह अपने विचारों को टटोलता हुआ बाहरी प्रभावों और दबावों से स्वयं को मुक्त करता है। जिस समय मनुष्य अपने आन्तरिक बन्धनों से मुक्त होता है उसी समय उसके भीतर एक नवीन और परिष्कृत मानव की निर्मिति होती है। सुन्दर चन्द ठाकुर की कृति ‘ख़ुद से जीत’ उन्हीं स्वप्नों पर जीत की कथा है जिन्हें एक सचेत मानव ही अपने साहस और बौद्धिक बल से हक़ीक़त में बदल पाता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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