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Description
किस्सा प्रीतम पांडे का
‘किस्सा प्रीतम पांडे का’ धीरेन्द्र वर्मा का एक बहुचर्चित उपन्यास है। विगत सदी में प्रकाशित यह व्यंग्यात्मक कृति अपने समय, समाज की विसंगतियों एवं आधुनिक जीवन में घुस आई स्वार्थपरता का यथार्थ चित्रण करती है। राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में व्याप्त अवसरवादिता, अन्धप्रतियोगिता और ऊँचा दिखने की होड़ पर लेखक ने करारी चोट की है। इस उपन्यास का कथानायक प्रीतम पांडे मानवीय मूल्यों—अर्थात् निष्ठा, परिश्रम, ईमानदारी आदि—के स्थान पर छल, कपट, हरामखोरी, धूर्तता जैसे नए जीवन-मूल्यों के बल पर न केवल सफल है, अपितु एकमात्र विजेता भी है। आधुनिकता के नाम पर सारहीन कला की मुक्तकंठ से प्रशंसा पुरस्कारवादी संस्कृति का भंडाफोड़ करती है।
यही कारण है कि प्रीतम पांडे आँख मीचकर बनाई गई पेंटिंग्स को मॉडर्न आर्ट के नाम से प्रदर्शित करके सर्वाधिक सम्मानित आर्टिस्ट का खिताब भी हासिल कर लेता है। वस्तुतः तीखी व्यंग्यात्मक शैली और सरल-संक्षिप्त संवादों द्वारा धीरेन्द्र वर्मा की यह कृति सफलता के आधुनिक सूत्रों की बखिया उधेड़ने में कहीं कोई चूक नहीं करती है। अपने प्रवाह में बहा ले जानेवाली भाषा इस उपन्यास की बहुत सारी विशेषताओं में से एक है जिसका एक अलग ही आकर्षण है। निस्सन्देह, अपनी जमीन पर जीवन्तता में एक विलक्षण कृति है ‘किस्सा प्रीतम पांडे का’।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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