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किस्त किस्त जीवन
साहित्य अकादेमी द्वारा 2012 में पुरस्कृत शेफालिका वर्मा की मैथिली आत्मकथा किस्त-किस्त जीवन का हिंदी अनुवाद है। इस आत्मकथा में एक बालिका, एक किशोरी, एक युवती, एक प्रौढ़ा, एक वृद्धा की भाव भंगिमा तथा अनुभूति का संकलित स्वरूप है, जो अपनी काया के स्वरूप को बदलती गई, संबंधों की डोर को बदलती गई, लेकिन उसकी अल्हड़ता, उसकी निश्छलता, सरल-सहज सौम्यता सारी अवस्थाओं में उसी तरह विद्यमान रही।
एक पिता की दुलारी बेटी, एक पति की प्रियतमा पत्नी, बेटे-बेटियों, दामाद-बहुओं, नाती-नतिनी, पोता पोती के वात्सल्य की सरिता के कलकल निनाद का भाव व्यक्त करने का साक्ष्य है किस्त-किस्त जीवन, जो परिवार की सुख-समृद्धि, संबंधों का प्रेममय एवं सौहार्दपूर्ण निर्वहन का वैसा ही चित्र उपस्थित करता है जो कभी जनक नंदिनी सीता ने उपस्थित किया था और आज तक हमारे आदर्श बने हुए हैं।
लेखिका ने अपनी इस आत्मकथा में स्थिति-परिस्थिति, साथ ही जीवनानुभूति की सूक्ष्मतम भावभूमि को, कभी उपन्यास के कलेवर में, कभी कहानियों के साँचे में, कहीं विशुद्ध कविताओं की त्वरा में, तो कभी एक निभीक पत्रकार के तेवर में तो कहीं एक गंभीर चिंतक के रूप में किस्त-दर-किस्त प्रस्तुत किया है।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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