Krur Asha Se Vihval

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Krur Asha Se Vihval

Krur Asha Se Vihval

275.00 225.00

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Author: Madan Pal Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 248

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789391277499

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

क्रूर आशा से विह्वल

1866 के दौरान चौबीस वर्ष की आयु में मालार्मे का उस संकट की अवस्था से सामना हुआ जिसके अवयव बुद्धि व शरीर दोनों ही थे। उस अवधि के दौरान लिखे एक पत्र में कवि ने अपने विचार प्रेषित किये कि ‘मेरा गुजर कर फिर पुनर्जन्म हुआ है। अब मेरे पास आत्मिक मंजूषा की महत्त्वपूर्ण कुंजी है। अब मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अंतरात्मा को किसी बाह्य प्रभाव या मत की अपेक्षा उसी से खोलूँ।’ स्पष्ट है कि इससे अन्य रचनाकारों की खींची लकीर व मीमांसा से बाहर निकलने का मार्ग बना।

यह भी जाहिर है कि नयी वैचारिकी के आलोक में मौलिक, महान अतुलनीय कार्य हेतु अनुपम, अपारदर्शी शब्द योजना का संधान आवश्यक था लेकिन नियति वही रही जो प्रत्येक साहित्यिक कीमियागर या स्वप्नद्रष्टा द्वारा महान रचना (Magnum Opus) का स्वप्न देखने पर होती है, यानी अपूर्णता से उत्पन्न संत्रास। L’azur (नभोनील) कविता में भी विशुद्ध को साधने की असमर्थता, ‘मैं हूँ बाधित-त्रस्त ! गगन, अभ्र, नभ ओ व्योम तुमसे’ में व्यक्त हुई।

गुप्त संकेती मानस के ब्रह्मांड में समायी अवधि-अंतराल की व्याख्या एक सीमा तक ही हो सकती है। कथ्य में अकथ समाने की कितनी सामर्थ्य तथा अकथ में कथ्य की कितनी भागीदारी रही-कौन जाने ! फ्रांसीसी दर्शनशास्त्री और पेरिस विश्वविद्यालय में प्राध्यापक कौतैं मेईयासू को पढ़ने पर पता लगता है कि वह आधुनिक आत्मा को संतुष्ट करने में सक्षम व अपने आप में एक समग्र पाठ तैयार करने की दुर्निवार्य इच्छा से भरे रहे।

लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि शब्द साधकका प्रयत्न व्यर्थ गया। मालार्मे की रचनात्मक भागीदारी शब्दों की ‘अनंत रहस्यपूर्ण सत्ता’ में चिह्नित हो चुकी थी।

उनन्‍नीसवीं शताब्दी में और उससे भी पहले जिस तरह से ईसाइयत के धर्मसिद्धांत व रूढ़ियों से ऊपर उठ कर आदमी, सौंदर्य व तर्कबुद्धि के साथ विज्ञान को देखने लगा वह अद्भुत होने के साथ ही आवश्यक भी था। क्षुद्रबुद्धि व उपयोगितावाद से अरुचि प्रकट करते हुए, अप्रत्यक्ष दीप्ति के प्रति आस्थावान मालार्मे भी अपने अंतःकरण के व्याख्याता के रूप में समादृत हुए।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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