Kshirsagar Main Nind

-24%

Kshirsagar Main Nind

Kshirsagar Main Nind

112.00 85.00

In stock

112.00 85.00

Author: Shriprakash Shukla

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788194172406

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

क्षीरसागर में नींद

बनारस…बनारस कई अर्थों और चेतनाओं के साथ भारतीय मनीषा का अभिन्न अंग रहा है। भारत, विशेष तौर से उत्तर भारत की परिपक्व मनीषा का अभिभाज्य अंग है बनारस। इसे प्रत्येक मानुष समझता है परंतु जब कोई सामाजिक बनारस में निरंतर रह रहा है, तो संवेदनशील सामाजिक की चेतना का बहुमुखी हो जाना स्वाभाविक बात है।

श्रीप्रकाश शुक्ल का नवीन संग्रह ‘क्षीरसागर में नींद’ इस बहुमुखता को काव्यात्मक आस्वाद का हिस्सा बनाता है। यात्रा भीतर यात्रा/यात्रा भीतर घर/ घर भीतर यात्रा’–यात्रा और यात्रा के बीच जो विस्तृत स्पेस है, उस काव्यात्मक स्पेस की विशेषता ही यही है कि वह गतिशील होता है, बहुमुखी होता है, विविधवी होता है। इस स्पेस में ही कवि पाता है-‘जो यातना में होता है बहुत ज़िद्दी होता है।’ यह जिद और यातना, गति और यात्रा परंपरा के गतिशील अनुशासन से उभरती है। यह गतिशील अनुगमन इस संग्रह की केंद्रिकता है। संग्रह की कविताओं में यात्रा का एक स्तर भौतिक स्थितियों के आभ्यंतरीकरण से भी निर्मित हुआ है। इसी कारण दार्जिलिंग में, जो प्राकृतिक सुषमा विकास है, ‘वह वर्षों से उग रहा था’ कवि के भीतर, ‘बस उसे देखने की ऊँचाई नहीं थी’। यह ऊँचाई कवि अपनी काव्यात्मक यात्रा के विकास में पाता है करुणा, संवेदनशीलता आदि भावों के कारण। संग्रह की कविताओं में अंतःसलिला के रूप में राजनीतिक चेतना प्रवहमान है। इस चेतना के बिना ‘बुरे दिनों का ख़्वाब’, ‘यात्रा’, ‘विरोध का होना’ आदिकविताओं तथा ‘पक्का महाल’ श्रृंखला की कविताएँ लिखा जाना असंभव है। सक्रिय राजनीतिक चेतना के बिना यह संग्रह बन ही नहीं सकता था। क्षीरसागर में नींद’ भी इसी राजनीतिक समझ का प्रमाण है। राजनीति ने इन कविताओं को एक दूसरे रूप में भी प्रभावित किया है। इसने कविताओं में व्यंग्य के सहारे लाक्षणिकता को विकसित किया है। क्षीरसागर क्या है ? निश्चितरूपेण यह आज का भारत है। फिर नींद किसको लगी है या लग रही है ? यह दोतरफा है। लोकतांत्रिक राज्यों-राष्ट्रों में सत्ता की बागडोर जनता के हाथ होती है। जनता अच्छे और गतिशील समाज के निर्माण के लिए उत्तरदायी और जिम्मेदार होती है। वह भी नींद में है तो दूसरी ओर उसके द्वारा चुने गये नुमाइंदे भी नींद में हैं। इस पूरे संग्रह में व्यंग्य, प्रतीक, रूपक कवि के काव्यात्मक टूल्स हैं। इस संग्रह की एक विशेषता है-उसकी लयात्मकता। लय कहीं तुक से निर्मित हुआ है, तो कहीं स्थितियों के संघात से। लय का अर्थ छंद नहीं होता। आधुनिक कविता में लय छंद से निर्मित नहीं होता। लय जीवन की स्थितियों के गंभीर संघात से निर्मित होता है। इस संग्रह में जीवन की विभिन्न स्थितियों का गहरा संघात तो है ही। हाँ, यह बात अलग है कि कहीं-कहीं कवि ने छंदों का भी इस्तेमाल किया है।

इस संग्रह में घटनाओं के यथातथ्य विवरण का घटाटोप नहीं है। वर्तमान की घटनाओं के सहारे ही काव्यात्मक संसार निर्मित हुआ है, पर वे घटनाएँ ही काव्यात्मक संसार नहीं हैं। यह एक ऐसी विशेषता है, जो इस संग्रह को वर्तमान की जमीन से आगे भी ले जाता है। साथ ही वर्तमान समय के संग्रहों में एक विशिष्ट पहचान भी देता है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Kshirsagar Main Nind”

You've just added this product to the cart: