- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
कुआँ
कुआँ साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत गुजराती उपन्यास कूवो का हिंदी अनुवाद है। यह गुजराती की क्षेत्रीय बोली चरोतरी में लिखी गई एक महत्त्वपूर्ण रचना है, जिसे घनश्याम दास सर्राफ तथा गुजराती साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।
कुआँ की विषय-वस्तु ग्रामीण परिवेश पर आधारित है, जिसमें एक विशिष्ट क्षेत्रीय गंध की छौंक के साथ गाँव की अनेक समस्याओं को उजागर किया गया है। अपने अस्तित्ववादी सौंदर्य-बोध, बोलचाल की भाषायी अर्थच्छवियों के सहज उपयोग तथा अपनी तीखी, परंतु सरल-सहज अभिव्यक्ति के कारण यह एक महत्त्वपूर्ण कृति बन पड़ी है।
इस उपन्यास में कुआँ गाँव के एक साधारण परिवार के व्यक्तिगत अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक ही नहीं, बल्कि उनका सामाजिक सरोकार भी है-सत्य के लिए किया जानेवाला अनिवार्य और प्रासंगिक संघर्ष। इसमें सहज गार्हस्थ्य प्रेम की उदार चेत॑ना है, जो सुख-दुःख के आरोह-अवरोहों के बीच जीवन-राग को शनैः:शनैः सम पर ले आती है।
कुआँ का परिवेश, इसके पात्र, प्रसंग, संवाद आदि जीवंत और मर्मस्पर्शी हैं, जिसका एकमात्र कारण यह है कि यह लेखक की अनुभूतियों का सच्चा आलेखन है। वह परिवेश, वे लोग और उनका जीवन सब कुछ लेखक ने संग-साथ भोगा है तथा विचित्र, किंतु अबोध और अगम्य गाँव की दुनिया को आकार देने का प्रयत्न किया है-तभी अपने अच्छे-बुरे दोनों पक्षों के साथ गाँव का स्वाभाविक जीवन इस उपन्यास में चित्रित हो पाया है।
अनेक सीमाओं के बावजूद अपने हिंदी अनुवाद में निश्चय ही यह कृति अत्यंत रोचक, पठनीय और हृदयग्राही बन पड़ी है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2014 |
Pages | |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.