Lambi Kavita Ke Aar Par

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Lambi Kavita Ke Aar Par

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300.00 255.00

In stock

300.00 255.00

Author: Narendra Mohan

Availability: 5 in stock

Pages: 151

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9789383637379

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

लम्बी कविता के आर-पार

लम्बी कविता के कला-माध्यम ने अपनी भीतरी शक्ति के बल पर, बाहरी और भीतरी स्वतंत्रता पर एकाग्र रह कर इस दौर में, नित-नवीन रूपों में वस्तु निरूपण, शैली-शिल्प और भाषा के नये प्रयोगों दारा अपनी पहचान को रेखांकित किया है।

लम्बी कविता जरूरी ही नहीं, चुनौतीपूर्ण काव्य-कला फार्म है-अपने आकार में, ढाँचे में, संरचना में, और सब से ज्यादा व्यापक और गहरे आशयों को ध्वनित करने वाले अपने कथ्य में, संवेदना और विचार को बृहद फलक पर तानने की अपनी क्षमता में। किसी भी कवि और आलोचक के लिए, इस चुनौती का सामना किये बिना कोई राह नहीं है।

लम्बी कालावधि में कविता/लंबी कविता के मानों-प्रतिमानों को ले कर प्रश्न उठते रहे हैं। अपनी ही आलोचनात्मक आढ़तों के शिकार हुए आलोचकों के लिए ये प्रश्न-प्रतिप्रश्न असुविधाजनक रहे हैं। उन्हें यह कौन समझाये कि नयी परिस्थिति और समय में नये काव्य-कला रूप सिर उठाते ही रहे हैं जिन्हें कविता के प्रचलित रूपों के बीचोंबीच रख कर देखने की जरूरत है। छायावादी कविता से लेकर इधर की कविता तक के विकास को देखते हुए कहा जा सकता है कि लम्बी कविता के तौर पर ‘राम की शक्तिपूजा’ से लेकर आज की कविता तक कई बड़ी कविताएँ और काव्य-मॉडल उभर कर आए हैं और काव्येतिहास में दर्ज होते रहे हैं।

लम्बी कविता की अलग संरचना और शिल्प है। उसे प्रबंधात्मक विधानों, गीतों और छोटी कविताओं में कैसे खपाया जा सकता है ? इन कविताओं को इन्हीं की राह पर चलते हुए, इनकी अपेक्षाओं और शर्तों पर समझा जा सकता है।

यह पुस्तक दो भागों में विभाजित है। पहले भाग में लंबी कविता की प्रवृत्तियों को ले कर सोच-सरोकार और चिंतन के आधारों के साथ इधर तक की लंबी कविता संबंधी कवियों-आलोचकों की जिज्ञासाओं और प्रश्नों के साथ एक संवाद-श्रृंखला दी गयी है। दोनो भागों में पाठक एक तरह का सह-संबंध महसूस करेंगे।

‘लम्बी कविता के आर-पार’ पुस्तक में कविता की नयी अभिरुचि और बनावट को ही रेखांकित नहीं किया गया है, नये प्रतिमानों की ओर भी संकेत किया गया है। कविता/लंबी कविता के पाठकों के लिए यह पुस्तक, निश्चय ही, अनिवार्य है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

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