Laute Huye Musafir

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Laute Huye Musafir

Laute Huye Musafir

125.00 100.00

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125.00 100.00

Author: Kamleshwar

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 9789352210206

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

लौटे हुए मुसाफिर

कहानी लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान के साथ कमलेश्वर ने अपने छोटे कलेवर के उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन के चित्रण को लेकर छठे-सातवें दशक के हिंदी परिदृश्य में अपना अलग स्थान बनाया। देश-दुनिया, समाज-संस्कृति और राजनीतिसे जुड़े विषय भी अक्सर उनकी कथा-रचनाओं के विषय बने हैं। ‘काली आंधी’ और ‘कितने पाकिस्तान’ जैसी रचनाओं के लिए विशेष रूप से ख्यात कमलेश्वर की लेखनी मध्यवर्गीय जीवन की विडम्बनाओं पर ही ठहरती है। वर्ष 1961 में प्रकाशित इस उपन्यास ‘लौटे हुए मुसाफिर’ में स्वतंत्रता के आगमन के साथ गंभीर रूप धारण करती साम्प्रदायिकता की समस्या और भारत विभाजन के नाम पर बेघर-बार हुए मुस्लिम समाज के मोहभंग और उनकी वापसी की विवशता को दर्शाया गया है। यह इस उपन्यास की प्रभावशाली रचनात्मकता और इतिहास-बोध के कारण ही संभव हुआ कि इस छोटे से उपन्यास का उल्लेख भारत-विभाजन पर केन्द्रित गिने-चुने हिंदी उपन्यासों में प्रमुखता के साथ किया जाता है। अपनी आवेश युक्त शैली में कमलेश्वर ने इस कृति में आजादी और विभाजन के ऊहापोह में फंसे हिन्दुओं और मुसलमानों की मनःस्थिति के साथ भारत के सामाजिक ताने-बाने में आए निर्णायक बदलाव को भी रेखांकित किया है।

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Paperback

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Publishing Year

2015

Pulisher

Language

Hindi

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