Lekhak Ki Sahityaki

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Lekhak Ki Sahityaki

Lekhak Ki Sahityaki

395.00 295.00

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Author: Nandkishore Acharya

Availability: 5 in stock

Pages: 288

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9788181437921

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

लेखक की साहित्यिकी

जब मैं आचार्य के इन निबन्धों पर सोच रहा था तो मुझे महसूस हो रहा था, जैसे मैं अपने आप से बातचीत कर रहा हूँ। इस आत्मालाप में मैं अपनी स्वयं की सृजनात्मकता से जुड़े प्रश्नों से टकरा रहा था, पर एक दूसरी ही भाषा थी वह। परम्परा, इतिहास, विज्ञान, कला जैसे शब्द भी एक पांडित्यरहित भाषा के स्वर में मुझ से मिल रहे थे। यह सोचना अच्छा लग रहा था कि बाहर भी ऐसे स्वर हैं, जिन्हें हम अपने भीतर हमेशा ही सुनते रहते हैं पर जिन की पहचान अनुभव और अनुचिन्तन की एकमेक भाषा में करने की कोशिश हम नहीं करते। आचार्य इसलिए मुझे पास-पड़ोस के देसी आदमी की तरह करीबी लगे, लगभग सामान्य भारतीय संस्कारों में रचेबसे, ईषत् अन्तर्मुख। दृढ़ और उदार वैचारिकता से जीवन्त है उन की चिन्तनशील भाषा। किसी भी परदेसी चिन्तक के साथ खुला संवाद करने के लिए प्रस्तुत एक खरे भारतीय की सार्थकता की पहचान को अपने सृजनात्मक उपक्रम में खोजने वाले नन्दकिशोर आचार्य के इन निबन्धों को पढ़ना मेरे लिए एक अत्यन्त ही सर्जनात्मक अनुभव था। मुझे इसके पाठ से यह सहज ही अनुभव हो सका था कि इनमें उठाए गए मुद्दे, बुनियादी तौर पर, एक सृजनात्मक व्यक्ति के लिए अनिवार्य मुद्दे हैं। शायद शुरू में जब मैंने इन निबन्धों में एक सृजनशील कवि की सक्रिय मौजूदगी देखी थी, तो वह इसी अनुभव की वजह से कि एक कवि की हैसियत से जिन प्रश्नों-मुद्दों को मैं लगभग बेशिनाख्त लेकिन सतत सक्रिय अनाकार में देखता-जानता था, उन्हें इस तरह के तर्क-संवलित, और एक स्वस्थ संस्कार में सहज भाव से मौजूद देखना, मेरे लिए लगभग स्वतःस्फूर्त ढंग से, अपने रचने को देखने जैसा ही था। उन की भाषा, मुझे अपनी अस्मिता के बहुआयामी स्वरूप को जानने-समझने के लिए उकसाती है। वह यूरोप की विद्या और उस के गहरे जनतान्त्रिक मूल्यबोध को, अपने सहज सर्वात्म भाव में घोलती-सी लगती है; और हमें याद दिलाती है कि प्रगति और समृद्धि के ‘स्वर्ग और नरक’ को अपने दहकते अनुभवों में जानती यूरोपीय संस्कृति के साथ ऐसी बातचीत जरूरी है, जिसमें हम अपने होने के विभिन्न आयामों को, आधुनिक विज्ञान के इतिहास की नयी चुनौतियों के बीच पहचान सकें।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

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