Line Paar

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450.00 333.00

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450.00 333.00

Author: Jean Dreze

Availability: 5 in stock

Pages: 344

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789360863548

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

लाइन पार

अनिल सिंह लन्दन में रहते हैं और पेशे से बैंकर हैं। उनकी एक महिला मित्र है पैट, जो लम्बे समय से भारत जाने की ख़्वाहिश पाले हुए है। एक दिन उन्हें ख़बर मिलती है कि उनके चाचा की मौत हो गई है, जो उत्तर भारत स्थित पालनपुर नाम के गाँव में रहते थे। अब वे ही उनकी जायदाद के इकलौते वारिस हैं। पैट के आग्रह पर अनिल भारत जाने का फ़ैसला कर लेते हैं। उनके मन में जमीन-जायदाद अपने नाम करवाने के साथ-साथ उस देश को भी थोड़ा अच्छे से जान लेने की इच्छा है जहाँ से उनके माता-पिता आए थे। फ़ोटोग्राफ़ी के शौक़ीन अनिल अपने साथ अपना कैमरा भी ले जाते हैं। उनके मन में खेती करने का ख़याल भी घुमड़ रहा होता है। गाँव के रास्ते में अनिल को पता चलता है कि उनके चाचा की तो हत्या हुई थी और पुलिस ने इस जुर्म में उनकी नौकरानी को गिरफ़्तार किया है। उसका नाम नीतू है और वह दलित है। यहाँ से खुलने वाली आगे की कहानी का एक सिरा इसी हत्या की गुत्थी में है। पालनपुर में अपने प्रवास के दौरान वे उत्तर भारतीय समाज की तमाम जटिलताओं के साथ दो-चार होते हैं, मसलन विभिन्न जाति-समूहों (ठाकुर, मुराव, दलित) की आपसी राजनीति, भ्रष्टाचार, जलनखोरी, लालफीताशाही, ग़रीबी, लैंगिक भेद, सत्ता-संघर्ष और एक बँटे हुए गाँव की तमाम उथल-पुथल।

‘लाइन पार’, जातियों में बँटे हुए एक भारतीय गाँव का यथार्थवादी, तीखा और मनोरंजक पोर्ट्रेट है। इसमें सौ साल के ग्रामीण जीवन की व्यथा-कथा है। इस कहानी में ऐतिहासिक तथ्य हैं, तो निजी अनुभव भी हैं। यह एक सनसनीखेज अपराध कथा भी है और ग्रामीण जीवन का मर्मस्पर्शी दस्तावेज़ भी जिसमें आज़ादी से पहले और बाद के ग्रामीण भारत की विविध रंगी तस्वीरें दिखती है।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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