Litten Block Gir Raha Hai
Litten Block Gir Raha Hai
₹120.00 ₹100.00
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Author: S.R Harnot
Pages: 136
Year: 2014
Binding: Paperback
ISBN: 9788176755597
Language: Hindi
Publisher: Aadhar Prakashan
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Description
लिटन ब्लॉक गिर रहा है
एस.आर. हरनोट भारत के समकालीन कथा-परिदृश्य में आसानी से ‘भीड़’ से अलग दिखाई देने वाले एक विरले रचनाकार क्यों नजर आते हैं ? वजह बस इतनी ही हैं कि वे किसी और जैसा होने-दिखने की बजाय, बस ‘अपने जैसा’ हो सकने की एक सहज परन्तु गहरी सृजन यात्रा करते हैं। और यह बात ही दरअसल बेशकीमती है क्योंकि इसी से जन्म लेती है मौलिक और अद्वितीय होने की सामर्थ्य।
आप हरनोट की कहानियों के रचना संसार से होकर गुजरते हैं तो कह सकते हैं कि यहां है गहरी जनधर्मी संवेदना। फिर आप ग्रह भी कह सकते हैं कि यहां है एक व्यापक परिदृश्य, जो परंपरा और इतिहास को नापता हुआ प्रागैलिहसिक गुहांधकारों तक बेहिचक चला जाता है और अपनी कहानियों को इस लायक भी बना पाता है कि वे अपने छोटे कलेवर के बावजूद इस विराटता के भार का वहन कर सकें। और यही नहीं, यहां आप यह बात भी कह और देख सकते हैं कि उनकी कहानियां समय और स्थान की सीमाओं के पार बैठे मनुष्य कही ‘मानवीय संवेदना’ के शाश्वत रूपों व आधारों को भी अक्सर छूती-पकड़ती हैं, जिन्हें इधर की कहानी ने बेगाना और बहिष्कृत बनाकर हाशियों पर धकेल दिया है। ‘आभी’ चिड़िया और लिटन ब्लॉक गिर रहा है’ की कुतिया के साथ वे ऐसे मानवीय रिश्ते में बंधते हैं कि हम संवेदना के तल पर प्रेमचंद की ‘पूस की रात’ की ऊंचाई को दोबारा छूते-सहेजते और विकसित करते हुए बस अवाक् खड़े रह जाते हैं।
गोया हरनोट की कहानियों को पढ़े बिना अब समकालीन हिन्दी कहानी को पूरा जानना करीब-करीब असंभव हो गया है।
विनोद शाही
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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