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Description
लोककवि ईसुरी
लोककवि ईसुरी का कृतित्व केवल लोक की सीमाओं में नहीं बँधा है बल्कि उन्होंने अपनी रचनात्मक शक्तियों के माध्यम से अपने लोक को व्यापक और अनंत बनाया है। बुंदेली बोली उनकी कवित्व प्रतिभा का बल प्राप्त कर अपनी अभिव्यक्ति में बेहद प्रभावशाली हो उठी है। ईसुरी की पहचान हिंदी कविता के परिसर में एक बेहद शक्तिशाली कवि के रूप में है। ईसुरी की कविता का परिदृश्य व्यापक है। जीवनगत विभिन्न विषयों को अपनी रचना में जीवंत करने वाले वे लोक भंगिमा के अद्वितीय कवि हैं। उनकी कविता में श्रृंगार, भक्ति, समाज, नीति और प्रकृति का उदात्त तथा महिमामय अनुगायन है। ईसुरी को श्रृंगार का कवि माना गया है। वे इस क्षेत्र के अप्रतिम रचनाकार है। उनके श्रृंगार पक्ष की प्रेरणा के रूप में उनकी प्रेमिका रजऊ को माना गया है, किंतु कहीं-कहीं उनकी यह रजऊ रहस्य के पदों में आवृत्त है। उन्होंने बुंदेलखण्ड के लोक में व्याप्त ‘फाग’ छंद में अपनी रचनात्मकता को विकसित किया है। यह ईंसुरी के जीवन, उनके व्यक्तित्व और उनके कृतित्व की सांगोपांग व्याख्या भी करती है। इस पुस्तक में यह भी ध्यान रखा गया है कि पाठको को ईंसुरी के मूल छंदों के रसास्वादन का भी आनंद प्राप्त होता रहे। एक तरह से ईसुरी पर लिखी गई यह बिरल कृतियों में शुमार होगी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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