Maalgudi Ki Kahaniyan

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Maalgudi Ki Kahaniyan

Maalgudi Ki Kahaniyan

325.00 265.00

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Author: R. K. Narayan

Availability: 5 in stock

Pages: 248

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788170287278

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

मालगुडी की कहानियाँ

अपने उपन्यास ‘गाइड’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा पद्मविभूषण द्वारा अलंकृत उपन्यासकार आर.के.नारायण विश्वस्तरीय रचनाकार गिने जाते हैं। उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर बनी फिल्म में उन्हें लोकप्रियता का एक और आयाम दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है।

‘मालगुडी की कहानियां’ आर.के. नारायण की अद्भुत रोचक कहानियां समेटे हुए पुस्तक है। अपने दक्षिण भारत के प्रिय क्षेत्र मैसूर और चेन्नई में उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच यहां-वहां ठहरते साधारण चरित्रों को देखा और उन्हें अपने असाधारण कथा-शिल्प के जरिये, अपने चरित्र बना लिये। ‘मालगुडी के दिन’ पर दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया जो दर्शक आज तक नहीं भूले हैं।

दशकों बाद भी ‘मालगुडी के दिन’ कहानियां उतनी ही जीवंत और लोकप्रिय हैं, जितनी पहले कभी नहीं थीं। यही उनकी खूबी है।

 

मेरी कहानियाँ

कहानियाँ लिखना लेखक के लिए आसान होता है क्योंकि इसमें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। उपन्यास अच्छा हो या बुरा, छापने लायक हो या न हो, इसमें बहुत काम करना पड़ता है। बहुत ज्यादा शब्द लिखने पड़ते हैं, साठ हज़ार से एक लाख तक जो पहली नज़र में बहुत मुश्किल काम लगता है, क्योंकि इतने शब्द लिखने में बहुत लम्बे समय तक इन पर ध्यान जमाये रखना पड़ता है, आजकल के हिसाब से मैं छोटे उपन्यास ही लिखता हूँ, फिर भी एक ही विषय पर महीनों तक काम करते रहना मुझे परेशान करने लगता है। इन दिनों रात-दिन दिमाग में शब्द और वाक्य घूमते रहते हैं, अंतिम जो शब्द लिखे थे, वे और इसके बाद क्या शब्द लिखे जायेंगे, वे सब कानों में लगातार गूँजते रहते हैं, इनके अलावा दूसरी सब आवाजें और खुशबुएँ-बदबुएँ दिमाग़ में घुस ही नहीं पातीं, बाहर से ही वापस चली जाती हैं। जब उपन्यास का पहला खाक़ा बनाना पड़ेगा, शायद तीसरा और चौथा भी बनाना पड़े, जब तक इसमें पूर्णता प्राप्त न की जा सके- असंभव-सा काम है। फिर कहीं वह दिन आता है जब पांडुलिपि का पैकेट बनाकर उसे प्रकाशक या लिटरेरी एजेंट को रवाना किया जा सकता है।

हर उपन्यास पूरा करने के बाद मैं निश्चय करता हूँ कि इसके बाद दूसरा नहीं लिखूँगा- तब मैं एक या दो कहानियाँ लिख डालता हूँ। यही काम मुझे अच्छा लगता है। उपन्यास लिखने में जहाँ बहुत से चरित्रों और घटनाओं की काफी विस्तार से सोच-विचार कर लिखना पड़ता है, वहाँ कहानी लिखने के लिए एक ही चरित्र या घटना काफी होती है, एक मुख्य विचार या क्रिया पर ध्यान केन्द्रित करने से ही अच्छी कहानी बन जाती है।

भारत में कहानी-लेखक के लिए विषयों की कमी नहीं होती। हमारी संस्कृति इतनी विस्तृत है कि उसमें विषयों की भरमार है : हर आदमी दूसरे आदमी से न सिर्फ आर्थिक स्थिति में, बल्कि दृष्टिकोण, आदतों और यहाँ तक कि रोजमर्रा के जीवन-दर्शन में भी एक-दूसरे से अलग है। ऐसे समाज में जीना और रहना, जो मशीन की तरह एक जैसी जिन्दगी नहीं जीता, जिसमें एक रसता नहीं है, बहुत मनोरंजक और उत्तेजक होता है। ऐसी स्थिति में कहानी लेखक के खिड़की से बाहर गर्दन निकालकर झाँकते ही उसे ऐसा कोई चरित्र मिल जायेगा जिस पर वह अच्छी कहानी लिख डालेगा।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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