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Description
माक्रों की बात, माक्रों के साथ
दर्शनशास्त्र में आपकी रुचि है, यह सब जानते हैं। यह गहन रुचि कैसे और कब पैदा हुई ? क्या यह गोष्ठियों, पठन-पाठन से उत्पन्न हुई ?
इस लगाव की पैदाइश चिह्नित नहीं, मुझे लगता है कि दर्शनशास्त्र के प्रति प्रेम से पहले, मुझे सार्वजनिक मुद्दों से लगाव था। मैं पढ़ने के माध्यम से दर्शनशास्त्र के क़रीब आया। इस मामले में सबसे पहले मैंने स्वाध्याय को अपनाया और दार्शनिक मार्शेल कोंश (जन्म : 1922) का लेखन मेरे सबसे पहले पढ़े जाने वाले पाठों में से एक था। उसके बाद मैंने दर्शनशास्त्र की पूरी पारंपरिक क़िस्म की शुरुआती शिक्षा, तैयारी कराने वाली कक्षाओं में प्राप्त की।
मैंने असल में पूरी तरह से काण्ट के माध्यम से दर्शनशास्त्र में प्रवेश किया। वह पहले दार्शनिक थे जिन्होंने मुझपर अरस्तू के साथ अपना भी प्रभाव छोड़ा। यह कोई लीक से हटकर बात नहीं थी ! मैं दार्शनिक भावनाओं से भरे अपने कई क्षणों में उनका ऋणी हूँ। साथ ही उनके अनुवादक अलेक्सी फिलोनैंको के प्रति भी कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने उनके काम पर एक शानदार टीका की थी। मुझे नहीं पता है कि उसे अभी भी पढ़ा जाता है या नहीं… मैंने काण्ट, अरस्तू, रने देकार्त को पढ़ने में काफी समय लगाया। दर्शन की यह बौद्धिक शरण, दुनिया का प्रतिनिधित्व करने की संभावना और उसे अर्थवत्ता युक्त एक अलग नजरिये से देखने के कारण भी महत्त्वपूर्ण थी। तदुपरांत मैंने हीगल के दर्शन को समझा, जिस पर मैंने अपनी मास्टर डिग्री (रिसर्च) पूरी की।…
आपने इस क्षेत्र में अपना पेशा बनाने के बारे में सोचा…
बिल्कुल भी नहीं ! यह चीज़ों को आस्वाद के स्तर पर समझने का एक माध्यम था। इसकी वजह से मुझे दार्शनिक सैद्धांतिक विस्तार को वास्तविक स्थिति के साथ जोड़ने की सहूलियत मिली थी। दरअसल राजनीतिक दर्शन वास्तविकता का अवधारणाओं के साथ एक कसा हुआ वितान रचता है। यह अपने प्रकाश के माध्यम से इसका वास्तविक दिग्दर्शन करना संभव बनाता है।
– इसी पुस्तक से
यह किताब जितना एमानुएल माक्रों की है उतना उनके बारे में है। इसमें उनके स्मृति लेख हैं और साक्षात्कार भी। दूसरे लोगों के उनके प्रति दृष्टिकोण और परिवर्तन को समर्पित उनके आंदोलन की दशा व दिशा पर भी सामग्री इस संकलन का हिस्सा है। यह किताब फ्रांस की ही नहीं बल्कि यूरोप की राजनीति को समझने की एक पीठिका तैयार करती है। लेकिन इससे भी इतर, इसके माध्यम से एमानुएल माक्रों का समाज, साहित्य, दर्शन, राजनीति के प्रति दृष्टिकोण और रुझान हमारे सामने आता है।
अनेक स्तर पर उनके जीवन में आए चरित्र, साक्षात्कार के माध्यम से पाठकों से रूबरू होते हैं। दरअसल, एक बुद्धिजीवी या राजनीति में दर्शन तलाशने वाले राजनीतिज्ञ से बात करने के लिए यह संकलन उपयोगी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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