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Description
महादेवी रचना संचयन
आधुनिक हिंदी कविता में छायावाद अपनी काव्यात्मक समृद्धि, आंतरिक ऊर्जा और दार्शनिक गंभीरता के लिए उल्लेखनीय है। स्वाधीनता की चेतना, आत्मवादी दृष्टि, सौंदर्य चित्रण और विद्रोह भाव के लिए उसे सदा रेखांकित किया जाएगा। महादेवी वर्मा (1907-1987) छायावाद की महत्त्वपूर्ण कवयित्री रही हैं। छायावादी काव्य में अपनी अनुभूति की सूक्ष्मता, चिंतन की गंभीरता, करुणा, प्रेम, रहस्य और गीतात्मक चेतना के कारण महादेवी एक विशिष्ट व्यक्तित्व प्राप्त करती हैं। प्रथम काव्य-संग्रह नीहार (1930) के अतिरिक्त उनके अन्य पाँच काव्य-संग्रह रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942), अग्निरेखा (मरणेपरांत 1990), यामा उनके प्रथम चार काव्य-संग्रहों की कविताओं का संकलन है और आधुनिक कवि महादेवी में उनके समस्त काव्य से स्वयं उन्हीं द्वारा चुनी हुई कविताएँ संकलित हैं। महादेवी ने मात्रा में बहुत अधिक नहीं लिखा है पर अनुभूति और कलात्मक उत्कर्ष की दृष्टि से उनका काव्य छायावाद की मूल्यवान उपलब्धि है। महादेवी वर्मा के काव्य में जो वेदना है, वह एक मूल्वादी अंतर्मुखी कवयित्री की वेदना है जो शब्द की सत्ता में यकीन करती है। यह इस शोषक समाज में संवेदनशील व्यक्ति की तथा एक नारी की वेदना भी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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