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Description
महाविद्या मंत्र-तंत्र
भारतीय संस्कृति साहित्य दो शाखाओं में बांटा जाता है – आगम और निगम। आगम शब्द तंत्र के लिए और निगम वेदों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इस प्रकार तंत्र उच्चकोटि के साहित्य में गिना जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार दैविक शक्तियों को अनुकूल बनाकर उनसे मनोवाँछित कार्य लिया जा सकता है। महानिर्वाण तंत्र में बताया गया है कि कलयुग में मनुष्य केवल आगम तंत्र के अनुसार ही सिद्धि पा सकेंगे। अन्य मार्गों से गृहस्थों को सिद्धि प्राप्त नहीं होगी। लेकिन इन प्राचीन दुर्लभ और रहस्यमयी साधनाओं को कोई भी पूर्णता के साथ उजागर नहीं करता। कुछ ऐसी ही साधनाओं और मंत्र-तंत्रों की सिद्धि योगीराज अवतार सिंह अटवाल ने की है जो प्रायोगिक तांत्रिक तो हैं लेकिन व्यवसायी लेखक या ढोंगी नहीं। इनका तंत्र-ज्ञान अद्वितीय है यह आप इस पुस्तक को पढ़कर जान जायेंगे।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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