Main Hun Kolkata Ka Foreign Return Bhikhari

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Main Hun Kolkata Ka Foreign Return Bhikhari

Main Hun Kolkata Ka Foreign Return Bhikhari

795.00 595.00

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795.00 595.00

Author: Bimal Dey

Availability: 5 in stock

Pages: 248

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180318016

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

मैं हूँ कोलकाता का फॉरेन रिटर्न भिखारी

होश सँभालते ही खुद को सियालदह स्टेशन परिसर में भिखारी के रूप में पाया। किसी शरणार्थी परिवार में जन्मे उस बालक को अपने माता-पिता की याद नहीं थी, स्टेशन के बाहर पड़े ड्रेन-पाइप में वह रातें गुजारता। उसकी दुनिया रेलवे स्टेशन, ड्रेन-पाइप और आसपास की झुग्गी-झोपड़ियों तक सीमित थी। उसका कोई नाम नहीं था। राहगीरों द्वारा फेंके गये बीड़ी की टोटी उठाकर फूंकने की आदत के कारन लोग उसे बीड़ी कहकर पुकारते। एक उस्ताद से पाकिटमारी, उठाईगीरी आदि सीखकर इस कला को आजमाने के प्रयास में वह पहले दिन ही पकड़ा गया। उसे कुछ दिनों तक परखने के बाद अपने घरेलू नौकर के रूप में रख लिया। वहां उसने रसोई का काम सीखा। एक शिक्षक ने उसे पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। दाआबू अकसर अपने काम से अमेरिका या यूरोप के दौरे पर चले जाते, तब बीड़ी के पास ख़ास काम न रहता। वह या तो कहीं जाकर भीख मांगने बैठता या किसी बांग्लादेशी के रेस्तरां में पार्ट-टाइम काम करता या पार्क में बैठकर बीड़ी फूंकता। ऐसे में दाआबू ने उसे डायरी लिखने को कहा, बोले कि वह रोज के अनुभवों को अपनी भाषा में लिखना शुरू करे। हां, उसे एत्रिस नाम की एक सुंदरी अंग्रेज युवती से प्रेम भी हो गया था, जिसमें दाआबू को आपत्ति नहीं थी। भारतीय और पाश्चात्य समाज व्यवस्था में अंतर, वहां का रहन-सहन, उन्मुक्त प्रेम, ड्रग का कहर, स्कूल ड्राप आउट्स, बेकारी भत्ता, अमीरों का कुत्ता प्रेम, आवारागर्द युवा वर्ग का जीवन, शराब, सेक्स, एक्स-मॉस पर्व, बड़े क्लबों की डिनर पार्टी….कुल मिलकर बहुत कुछ था बीड़ी के पास लिखने के लिए।…

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Authors

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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