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Description
मन के भँवर
एक मनोचिकित्सक जो स्वयं मनोरोगी है : अतिनाटकीय कथानक द्वारा मनोजगत का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हिन्दी नाटक में सर्वथा नवीन प्रयोग है। रंगमंच पर सफलतापूर्वक मंचस्थ नाटक ‘मन के भँवर’ का कलापक्ष भी उतना ही सबल है, जितना साहित्य पक्ष। हिन्दी नाट्यलेखन के लिए केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली, द्वारा ‘अकादमी अवार्ड’ से भूषित, तथा ‘कथा एक कंस की’, ‘इतिहास चक्र’, ‘सीढ़ियाँ’, ‘अपने अपने दाँव’, जैसे सफल नाटकों के रचयिता दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सर्जित नाटक ‘मन के भँवर’ कथानक की नवीनता और नाटकीयता के लिए अद्वितीय है। नाटक का कथानक सर्वकालिक है, जो समय के साथ पुराना नहीं पड़ता। यही नाटक की सफलता का रहस्य है, जो उसे दीर्घजीवी बनाता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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