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मकबूल फिदा हुसेन
समकालीन भारतीय चित्रकला के अकेले ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने समकालीनता को अन्तरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई और जीवन भर इस दिशा में काम किया। प्रस्तुत पुस्तक में संग्रहीत लेख उनकी इसी जीवटता, समर्पण, दूरदृष्टि और अथक परिश्रम को रेखांकित करते हैं। वे न सिर्फ सक्रिय रहे बल्कि उन्होंने अनेक चित्रकारों को प्रेरित भी किया। युवा चित्रकारों के लिए आज भी वे प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी चुम्बकीय उपस्थिति, उनका बेफिकराना अन्दाज़, उनके सरोकार आदि सभी इतने व्यापक और पारम्परिक रहे कि उनमें आधुनिकता अपने उच्चतम रूप में प्रकट होती है।
हुसेन के चित्रों को यदि एक वाक्य में परिभाषित किया जाय तो वह कुछ इस तरह का हो सकता है – ‘‘परम्परा अपनी आधुनिकता को हुसेन के चित्रों में सहजता से प्रकट करती है।’’ हुसेन पर लिखे गए इन लेखों को एक जगह एकत्र करने के पीछे मेरी मंशा यह भी रही है कि अलग-अलग समय पर अन्यान्य कारणों से लिखे गए इन निबन्धों में हुसेन की बहुमुखी प्रतिभा का स्वाद पाठकगण ले सकें। हुसेन निश्चित ही देश-काल, धर्म-विधर्म से परे अपनी रचनात्मकता में डूबे एक सच्चे कलाकार थे जिन्होंने जीवन भर अपने को कसौटी पर कसा रखा। वे सक्रियता के पर्याय थे।
– भूमिका से
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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