Mausam Andar Bahar Ke

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Mausam Andar Bahar Ke

Mausam Andar Bahar Ke

150.00 128.00

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150.00 128.00

Author: Waseem Barelavi

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9789387024496

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

मौसम अंदर बाहर के

ग़म की मानी हुई हक़ीक़त को मीर तक़ी मीर से लेकर आज तक के शायरों ने साहित्य की विषय-वस्तु बनाया है। हमारी शायरी में इस ग़म की कहीं हल्की और कहीं गहरी परछाइयाँ मिलती चली आयी हैं, लेकिन हमारे इस कालखण्ड का विचारक वसीम बरेलवी इस आन्तरिक व्यथा से समाजी और इन्सानी ग़मों का आनन्ददायक उपचार तलाश करता है। उसके यहाँ वह रचनात्मकता है, जो इन्सानी ज़िन्दगी के त्रासद पहलू को भरपूर अनुभूति के साथ पेश करने में समर्थ है और उसके आनन्द और उत्साहवर्द्धक भविष्य को जन्म देने की कोशिश करता है। इसीलिए उसने प्रयास किया कि वह इस धरती पर बसने वाले तमाम इन्सानों की छोटी-बड़ी आन्तरिक और बाहरी समस्याओं को सिर्फ़ पेश करके न छोड़ दे, बल्कि ऐसा रास्ता भी दे जिस पर चलकर इन्सान स्थायी आनन्द और आसमान की रोशन बुलन्दियों को छू ले।

ग़ज़ल और ग़ज़लख़ोरों की तारीख़, कभी-कभी ऐसा लगता है कि ये शब्द और एहसास का ही रिश्ता न होकर हमारे आँसुओं की एक लकीर है जो थोड़े-थोड़े अर्से के बाद हर युग में झिलमिला उठती है और इस झिलमिलाहट में जब-तब देखा गया है कि किसी बड़े शायर का चेहरा उभर आता है। इस चमक का नाम कभी फ़ैज़ था, कभी फ़िराक़ था, कोई चेहरा दुष्यन्त के नाम से पहचाना गया, किसी को जिगर कहा गया। हमारे आज के दौर में आँसुओं की ये लकीर जहाँ दमकी है, वहीं वसीम बरेलवी का चेहरा उभरा है। इन्होंने अपनी शायरी में जिस तरह दिल की धड़कनों और दिमाग़ की करवटों को शब्दों के परिधान दिये हैं वह अपने आप में एक अनूठी मिसाल है।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2018

Pulisher

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