Media Aur Sahitya : Samkalin Sandarbh
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मीडिया और साहित्य : समकालीन संदर्भ
राष्ट्रीय तथा सामाजिक संकल्पना के तहत राष्ट्र मीमांसा एवं पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य में मीडिया को फॉर्थ एस्टेट की संज्ञा से अभिहित किया गया है। अन्य तीनों एस्टेटों की काबिलियत भी मीडिया पर निर्भर है। हर युग में पीढ़ी दर पीढ़ियों के बीच वार्ताओं एवं खबरों को पहुंचाने में मीडिया की भूमिका सराहनीय रही है। मीडिया का निराकरण वर्तमान या आगामी युगों में अचिन्तनीय है।
वर्तमान समाज साइबर युग का प्रत्यक्ष अनुभव पा रहा है और वह इर्न्फोमेशन ओवरफ्लो के कगार में है। जनता की आशाओं और अभिलाषाओं पर काबू पाने एवं उन्हें समाज के सम्मुख खोलकर रखने में मीडिया अहिर्निश प्रवृत्त है। मौजूदा समय में ‘मीडिया मैनेजमेंट’ तथा ‘मीडिया हैंडलिंग’ में जो जितना माहिर हो वही ‘स्मार्ट’ कहलाता है। सांप्रदायिकता एवं राजनैतिक आपाधापियों से पृथक मानव प्रगति का, सामाजिक विकास का पथ ग्रहण करना ही मीडिया के लिये अभिकाम्य है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के अधीन मीडिया की व्याप्ति दिन दुगुनी रात चौगुनी हो रही है। ऐसी हालत में एक समाज निष्ठ, सकारात्मक मीडिया संस्कृति आज की मांग है।
बाज़ारवादी, पूंजीवादी एवं साम्राज्यवादी शक्तियों ने नव उपनिवेशवादी पथ का द्वार हमारे सामने खोल दिया है। उनकी नुक्ता-चीनी जनता के सम्मुख रखने में मीडिया क्या सफल हो पा रहा है ? यह एक अहम सवाल है। कहना न होगा कि आज मीडिया, बाजारवाद का अधीनत्व स्वीकारता हुआ मात्र एक व्यावसायिक केन्द्र बन रहा है, यहाँ मीडिया का दायित्व कहाँ संरक्षित हो जाता है ? ऐसे मीडिया विमर्श के बहुआयामी पहलुओं, समस्याओं एवं चुनौतियों पर हो रही चिंता के विषय को चिंतन का विषय बनाकर यहाँ उन्हें ग्रन्थाकार रूप दिया गया है।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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