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Description
मीलू के लिए
आज के साहित्य के ठोस आधार को आज की ठोस परिस्थितियों के विश्लेषण से ही खोजा जा सकता है और तभी इसकी बुनियाद पक्की होगी। शोषण और उत्पीड़न की प्रक्रिया को नंगा करना होगा। भारत की जटिल व उलझी हुई भूमि-व्यवस्था, भूमि सुधार, कानून के भेस में खेतिहर मजदूरों का शोषण, जातीय उत्पीड़न, वर्ग तथा जातीय उत्पीड़न, प्रशासन का असली चेहरा और आंदोलन के अवसरवादी सुधारवादी वामपंथियों द्वारा नेतृत्व, ये सब समस्याएँ ही आज के साहित्य की भूमिका और उसके विकास की दिशा को तय करेंगी। सत्य को बार-बार दुहराना होगा। यह बहुत नाजुक वक़्त है। आज के पेशेवर लेखकों को इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा।
हम सभी लेखकों के एकजुट होकर जनता की समस्याओं के वास्तविक गतिविधियों के साथ व्यक्त करना होगा। लेखक की समस्याओं और संघर्षों से अलग-अलग रहना सबसे बड़ा अपराध है। लेखक मौन रहा जब सिपाहियों, सी.आर.पी. और सरकार के पाले हुए गुंडों ने कानून और व्यवस्था के नाम पर पश्चिमी बंगाल के एक विशाल कत्लगाह में बदल दिया। आज भी बंगाल में ये स्थितियाँ दूसरे बदले हुए, सुधार के साथ मौजूद हैं। डेबरा-गोपी बल्लभगढ़ में आज भी सरकारी आतंक कायम हैं। लेखकों को इन समस्त स्थितियों से जूझना होगा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2008 |
Pulisher |
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