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मीरा याज्ञिक की डायरी
गुजराती उपन्यास के क्षेत्र में सन् 1992 में ‘मीरा याज्ञिक नी डायरी’ (मीरा याज्ञिक की डायरी) एक बे-आवाज़ बग़ावत बनकर आई। बिन्दु भट्ट द्वारा पहली बार यहाँ रूढ़ियों और कामवर्जनाओं की बन्दिशों को तोड़कर बिना किसी मुखरता के सेल्फ़ सेन्सरशिप को उखाड़ फेंकने की दिशा में स्त्री-लेखन ने एक क़दम आगे बढ़ाया है। संवेदनशील-शिक्षित युवती के समलिंगी तथा विषमलिंगी काम सम्बन्धों की अन्तरंग और बेबाक अभिव्यक्ति, डायरी शैली की कलात्मक सार्थकता एवं पारदर्शी गद्य की ताज़गी ने सुज्ञ पाठक वर्ग का बरबस ध्यान खींचा। आज सर्वाधिक आलोचनात्मक लेखों का रिकॉर्ड ‘मीरां याज्ञिक की डायरी’ ने क़ायम किया है।
अपने लघु-कलेवर में ‘मीरा याज्ञिक की डायरी’ हमारी चेतना को अनेक स्तर पर छूते हुए विस्तार देती है। विश्वविद्यालय में शोधकार्य करती मीरा संवेदनशील और बौद्धिक है। ख़ालिस ख़ूबसूरती और भरपूर प्रेम की उसे तलाश है। इस तलाश में अपने समूचे अस्तित्व के साथ वह समस्त परिवेश, विविध पात्र और परिस्थितियों को सहज स्वीकार करती है। संवेदना के स्तर पर वह जो कुछ भी अनुभव करती है, उसे बिना किसी दम्भ-दावे और पूर्वाग्रह के, अपनी डायरी में सर्जनात्मक ढंग से दर्ज करती है। इसीलिए मीरा की डायरी में उसके भीतर-बाहर की प्रत्येक तरंग का विश्लेषणात्मक लेखा-जोखा है और उसकी भाषा में बिना किसी लाग-लपेट की अपूर्व ऐसी स्वाभाविकता। निर्मम होकर अपने आपको भी दाँव पर लगाती यह अन्तरंगता जीवन के साथ बड़े गहरे सरोकार से ही सम्भव है। इसके चलते यह डायरी केवल मीरा की नहीं रहती, बल्कि किसी भी संवेदनशील बौद्धिक चेतना का अंश बन जाती है। वृन्दा और उजास में भीतर तक पैठकर स्वयं अपने को पाने की मीरा की ख़तरनाक जद्दोजहद ‘मनुष्य’ मात्र की जद्दोजहद में बदल जाती है और हमें झकझोरती है।
Additional information
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Binding | Paperback |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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