Meerabai Ki Padavali

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Meerabai Ki Padavali

Meerabai Ki Padavali

90.00 80.00

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90.00 80.00

Author: Parashuram Chaturvedi

Availability: 6 in stock

Pages: 258

Year: 2008

Binding: Paperback

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sammelan

Description

मीराबाई की पदावली

मध्यकालीन भक्ति काव्यधारा में मीराँबाई के पदों का विशिष्ट स्थान है। ये पद अपनी मार्मिकता एवं मधुरिमा के कारण इतने लोकप्रिय हुए हैं कि हिन्दी-भाषा-भाषियों ने भी इन्हें आत्मसात् कर लिया है। बंगाल से लेकर गुजरात तक और दक्षिण के महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक इन गीतों का प्रचलन जन-जन में हैं। इन पदों के जो संस्करण इसके पूर्व उपलब्ध थे, उनसे अध्येताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती थी। अतः यह संस्करण सुधी एवं सुहृदय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है।

इसका सम्पादन मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित विद्वान् आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की श्रमसाधना का फल है। विद्वान् सम्पादक ने शोधपूर्ण भूमिका के साथ-साथ अध्ययनशील विद्यार्थियों की सुविधा के लिए उपयोगी परिशिष्ट जोड़े हैं। इस सुसम्पादित संग्रह की उपयोगिता और लोकप्रियता का प्रमाण इसका यह इक्कीसवाँ संस्करण है।

विद्वान् सम्पादक आचार्य परशुराम चतुर्वेदी जी ने इस पदावली को परिमार्जित और संवर्धित कर अपने जीवन-काल में ही अध्येताओं के लिए इसे परमोपयोगी स्वरूप प्रदान कर दिया था। फलतः उनका यह सम्पादित ग्रंथ विद्वानों और छात्रों के मध्य लोकप्रिय एवं समादृत है।

सत्यप्रकाश मिश्र

 

मीराबाई की पदावली

राग तिलंग

 

मण थें परस हरि रे चरण।।टेक।।

सुभग सीतल कँवल कोमल, जगत ज्वाला हरण।

जिण चरण प्रहलाद परस्याँ, इन्द्र पदवी धरण।

जिण चरण ध्रुव अटल करस्याँ, सरण असरण सरण।

जिण चरण ब्रह्माण्ड भेट्याँ, नखसिखाँ सिरी धरण।

जिण चरण कालियाँ नाथ्याँ, गोप-लीला करण।

जिण चरण गोबरधन धार् याँ, गरब मघवा हरण।

दासि मीराँ लाल गिरधर, अगम तारण तरण।।1।।

 

राग ललित

म्हारो परनाम बाँके बिहारी जी।।टेक।।

मोर मुकुट माथ्याँ तिलक बिराज्याँ, कुण्डल अलकाँ धारी जी।

अधर मधुर धर वंशी बजावाँ, रीझ रिझावाँ, राधा प्यारी जी।

या छब देख्याँ मोह्याँ मीराँ, मोहन गिरवरधारी जी।।2।।

 

राग हमीर

 

बस्याँ म्हारे णेणणमाँ नंदलाल।।टेक।।

मोर मुगट मकराक्रत कुण्डल अरुण तिलक सोहाँ भाल।

मोहन मूरत साँवराँ सूरत णेणा बण्या विशाल।

अधर सुधा रस मुरली राजाँ उर बैजन्ती माल।

मीराँ प्रभु संताँ सुखदायाँ भगत बछल गोपाल।।3।।

 

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

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