Mera Japan

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Mera Japan

Mera Japan

495.00 370.00

In stock

495.00 370.00

Author: Ved Prakash Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 140

Year: 2025

Binding: Hardbound

ISBN: 9789369448265

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

मेरा जापान

मेरा जापान – यह पुस्तक जापान और भारत के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और ऐतिहासिक सम्बन्धों पर आधारित है, जिसमें लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से जापान को समझने की कोशिश की है। यह एक बहुआयामी पुस्तक है, जिसमें जापान के विभिन्न पहलुओं, जैसे-जापानी संस्कृति, शिक्षा, गांधी जी के साथ जापान का सम्बन्ध और जापान में हिन्दी का प्रभाव आदि पर गहरे विचार प्रस्तुत किये गये हैं।

व्यक्तिगत अनुभव और अध्ययन के सन्दर्भ में देखें तो शुरू के कुछ अध्याय, कुछ अध्याय, जैसे- ‘जापान से मेरी पहली मुलाक़ात’, ‘उगुइसु की आवाज़’ और ‘जापानी राग मिरवा’ यह दर्शाते हैं कि लेखक ने जापान के सांस्कृतिक पहलुओं को व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से जाना है। इन अध्यायों में जापान की प्राकृतिक सुन्दरता, संस्कृति और कला के बारे में लिखा गया है। लेखक ने जापानी जीवनशैली और वहाँ के माहौल को बहुत अच्छे तरीक़े से वर्णित किया है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सन्दर्भ के रूप में देखें तो पुस्तक में गांधी जी, रासबिहारी बोस और जवाहरलाल नेहरू के सम्बन्धों पर आधारित अध्याय, जैसे- ‘गांधी जी और उनके तीन बन्दर’ और ‘गांधी जी और जापान’ जापान और भारत के ऐतिहासिक सम्बन्धों की ओर इशारा करते हैं। इन अध्यायों में गांधी जी की विचारधारा और जापान की भूमिका पर विचार किया गया है। वहीं ‘क्या आपने रासबिहारी बोस का नाम सुना है ?’ में जापान पहुँचे भारतीय स्वतन्त्रता-संग्राम के विस्मृत नायक रासबिहारी बोस की भूमिका को समझाया गया है, तो ‘जवाहरलाल नेहरू के हाथ की गरमाहट अभी भी याद है’ में नेहरू से जुड़ी यादों को अमूल्य निधि की तरह सँजोया गया है।

शैक्षिक और सांस्कृतिक अन्तर के रूप में देखें तो ‘जापान की प्राथमिक शिक्षा’ और ‘जापानी शिक्षा-व्यवस्था में श्रम का महत्त्व’ जैसे अध्याय जापान की शिक्षा-प्रणाली पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। ये अध्याय बताते हैं कि कैसे जापान में शिक्षा और श्रम का सम्बन्ध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है और यह देश अपने युवाओं को एक ख़ास तरीके से तैयार करता है। ‘तोत्तो चान और उसका अनोखा विद्यालय’ में जापान की शिक्षा-प्रणाली के एक अद्वितीय उदाहरण पर चर्चा की गयी है।

हिन्दी भाषा और साहित्य के सन्दर्भ में देखें तो ‘जापान में हिन्दी : इतिहास और वर्तमान’, ‘हिन्दी का यात्रा-साहित्य और जापान’ और ‘जापानी विद्यार्थियों को हिन्दी-अध्यापन के अनुभव’ जैसे अध्याय जापान में हिन्दी भाषा और साहित्य पर प्रकाश डालते हैं। इन अध्यायों के माध्यम से लेखक ने जापान में हिन्दी के महत्त्व और इसके शिक्षण के अनुभवों को साझा किया है।

समाज और संस्कृति में परिवर्तन के दृष्टिकोण से देखें तो ‘परदेस-चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ : जापान के विशेष सन्दर्भ में’ और ‘भारत और जापान के युवाओं में देशभक्ति की भावना का स्वरूप’ जैसे अध्याय सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों की पड़ताल करते हैं। यहाँ लेखक ने जापान और भारत के बीच सामूहिक संघर्षों और सहयोग के बारे में विचार किया है।

कुल मिलाकर देखें तो यह पुस्तक लेखों, निबन्धों आदि के ज़रिये न केवल जापान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालती है, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति के साथ जापान से जुड़े सम्बन्धों को भी विस्तृत रूप में प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो जापान और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2025

Pulisher

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