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Description
मेरे साक्षात्कार : ममता कालिया
वर्ष 1984 से वर्ष 2011 तक की अवधि में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इन साक्षात्कारों के संकलन से ममता कालिया के व्यक्तित्व और कृतित्व के अब तक अनावृत्त रहे कई पक्ष उजागर हुए हैं। इनमें एक ओर जहां उन्होंने अपनी रचना-प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से बताया है तो वहीं अपनी कुछ कृतियों के अंतर्निहित अर्थों को भी व्याख्यायित किया है।
अधिकांश साक्षात्कारों में प्रश्नकर्ता के द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब उन्होंने संक्षिप्त रूप में ही दिए हैं। यानी वे कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने में ही भरोसा रखती हैं। अनावश्यक विस्तार से दूर रहने की उनकी इस शैली की वजह से ही 19 साक्षात्कर्ता को सम्मिलित करने के बाद भी पुस्तक का आयतन तुलनात्मक रूप से लघु ही है। जिस तरह से वे अपनी रचनाओं में बेधड़क और बेबाक ढंग से संवाद गढ़ती हैं, कुछ उसी तरह की शैली वे अपनी बातचीत में अपनाती हैं। इसके चलते ही उनके साक्षात्कारों को पढ़ते हुए, उनकी किसी रचना को पढ़ने का-सा आनंद आता है।
अपने साक्षात्कारों को संयोजित और संपादित कर पुस्तकाकार में लाने का दायित्व मुझे सौंपते हुए उन्होंने कहा था, ‘मेरे अंतर्जगत् की तहों को पाठकों के सामने लाने की जिम्मेदारी अब तुम्हारी है। इसे कैसे करना है, अब तुम जानो।’ उनके इस भरोसे को कायम रखने में मैं कहां तक सफल हुआ, इसका फैसला सुधी पाठक ही करेंगे। आशा है, यह पुस्तक ममता कालिया के प्रशंसकों और उन पर शोध कर रहे छात्रों के लिए भी सहायक सिद्ध होगी।
– विज्ञान भूषण
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher |
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