- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
मोर्चा दर मोर्चा
मोर्चा-दर-मोर्चा में मिलिए एक बुततराश से। अगर किरण एक बुततराश न होतीं तो 22 अक्टूबर 1997 को जोज़फ बोएज़ संस्थान उन्हें सामाजिक मूर्तिकार घोषित करते हुए 14,000 डालर के पुरस्कार से सम्मानित न करता। स्वयं एक प्रसिद्ध कलाकार जोज़फ बोएज़ मानते थे कि एक सामाजिक बुत तभी तराशा जा सकता है जब हर व्यक्ति अपनी क्षमता का पालन पोषण करते हुए एक कलात्मक तरीके से उसे सँजोए रखता है। तिहाड़ कारा में किरण ने यही तो किया, एक ग़ैर-पारम्परिक ढ़ग से सृजन पर अपनी पैनी निगाहें टिका कर जाने-अनजाने ही सही, जोज़फ बोएज़ की इस मान्यता को एक सार्थक रूप दे दिया। सृजनात्मकता और मान-मर्यादा को किरण ने ऐसे इन्सानों के भीतर संचारित कर दिया जो निराशा, उदासी और विषाद की प्रतिमूर्तियाँ बन चुके थे। बोएज़ की सोच से बहुत मेल खाता है किरण का मानवता के प्रति प्रेम।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2011 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.