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मानसिंह ने नाहर का बारीकी के साथ निरीक्षण किया। नाहर ने केवल एक तीर खाया था। राजा ने पूछा ‘नाहर की गरदन पर किसका तीर बैठा ?’
निन्नी ने सिर झुका लिया। लाखी ने तुरंत सामने होकर उत्तर दिया, ‘निन्नी—मृगनयनी का।’
राजा ने दूसरा प्रश्न किया, ‘अरने के माथे पर बरछी किसकी खोंसी हुई है ?’
लाखी बोली, ‘मृगनयनी की।’
‘वाह ! धन्य हो !! तुम दोनों धन्य हो !!!’ मानसिंह के मुँह से निकला और उसने अपने गले से सोने का रत्नजडि़त हार निकालकर निन्नी के गले में डाल दिया।
— इसी उपन्यास से
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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