Mukti

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150.00 128.00

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Author: Akhilesh Tatbhav

Availability: 4 in stock

Pages: 128

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170557418

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

मुक्ति
अखिलेश की कहानियों में चरित्र भी हैं। ये चरित्र कुछ कहानियों में एक हद तक कुछ धारणाओं के ‘पर्सोनिफिके’ तो लग सकते हैं, लेकिन कहानी पढ़ते हुए वे धीरे-धीरे रोचकता और जीवंतता से भर उठते हैं। ‘बड़ी अम्मा’ कहानी पढ़ते हुए गोर्की की ‘मदर’ की हल्की-सी याद आती है और कहानी का अंत एक तरह से नियंत्रित अंत लगता है लेकिन अपने समूचे प्रभाव में यह कहानी इधर की दर्जनों चर्चित कहानियों से ज्यादा सशक्त कहानी सिद्ध होती है।

इस संग्रह की कहानियों का उल्लेख एक और वजह से भी किया जाना चाहिए। अखिलेश की कहानियों में ‘प्रेम’ किसी रुग्ण मानसिक विलासिता या टटपुँजिया रोमांटिकता से भिन्न ठोस सामाजिक जमीन पर खड़ा हुआ एक वास्तविक मानवीय संबंध है। किसी मामूली क्लर्क के बेरोजगार बेटे द्वारा एक बड़े इंजीनियर की बेटी से किया जाने वाला प्रेम अपने मार्मिक, हास्यास्पद और विडंबनामूलक अंत के लिए अभिशप्त है। यहाँ न तो प्रेम को लेकर किसी भोगवादी-आनंदवादी ‘चटखारिता’ का गदगद प्रस्तुतीकरण है, न एक मामूली औसत प्रेम का अपार गौरावान्वीकरण अखिलेश की कहानियों में प्रेम नयी कहानी, अकहानी और प्रगतिवादी कहानी की रूढ़ धारणाओं से मुक्त है। जहाँ प्रेम उतना ही वास्तविक, आलोच्य और वर्गाश्रित है, जितनी कोई भी और चीज। ‘मुहब्बत’ और ‘घालमेल’ जैसी कहानियाँ इसका उदाहरण हैं।

‘मुक्ति’ पिछले दिनों में आया एक ऐसा कहानी संग्रह है जो समकालीन कहानी में अंधकार देखने वाले आलोचकों की आँखों में ‘आर्क लाइट’ की तेज रोशनी डाल सकता है। भले ही उस चकाचौंध में उन्हें कुछ देर फिर से कुछ न दिखाई पड़े।

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Hardbound

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Publishing Year

2015

Pulisher

Language

Hindi

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