Mukti Samar Mein Shabdh
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मुक्ति समर में शब्द
बीसवीं शताब्दी में व्यक्ति-स्वातंत्र्य के लिए जो भी जनसंघर्ष हुए, उनमें अठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता-संग्राम का महत्त्व सर्वोपरि है। हम इसे भारत की जनता का पहला ‘मुक्ति समर’ कह सकते हैं। आगे चलकर भारत में ही नहीं, विदेशी धरती पर होने वाले स्वाधीनता आन्दोलनों ने भी 1857 की इस विफल जन क्रान्ति से सबक लिया। एक ओर भारतीय जन-समुदाय ने स्वतंत्रता-संग्राम का वृहद संचालन किया तो दूसरी ओर भारतीय लेखकों, बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने अपनी कृतियों के माध्यम से इस ‘मुक्ति समर’ को आन्दोलित किए रखा, जिसकी अनुगूँज केवल भारतीय गद्य व पद्य साहित्य में ही नहीं, भारतीय लोक साहित्य में भी स्पष्ट सुनाई देती है।
ओम भारती की पुस्तक ‘मुक्ति समर में शब्द’ इस भाव की साकार अभिव्यक्ति है। इसमें इतिहास, समाज और जन-मानस का समुच्चय आजादी की लड़ाई के दौरान प्रभावशाली ढंग से लक्षित है। इसमें लिखा गया एक नहीं, अनेक भाषाओं में रचित कथा साहित्य है, जिससे पूरे भारत का वास्तविक मानचित्र समवेत स्वर में चित्रित होता है, जो भारतीय अस्मिता और उसके जीवन मूल्यों व संघर्षों के रंगों से अनुप्राणित है। विश्वास है कि इस पुस्तक के अध्ययन से पाठक कथा-सर्जना में समाहित ‘मुक्ति स्वर’ का आह्लद और सृजन की आकुलता को गहराई से समझ पाएँगे।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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