Muktibodh : Vimarsh Aur Punah Path

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Muktibodh : Vimarsh Aur Punah Path

Muktibodh : Vimarsh Aur Punah Path

895.00 675.00

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Author: Gajanan Madhav Muktibodh

Availability: 5 in stock

Pages: 327

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789390625741

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

मुक्तिबोध : विमर्श और पुनःपाठ

प्रस्तुत पुस्तक में मुक्तिबोध को वर्तमान के आलोक में देखने परखने की एक कोशिश की गयी है। इसी क्रम में पुस्तक में मुक्तिबोध के लेखन के विविध पक्षों पर आलेख शामिल किये गये हैं। हर रचनाकार अपनी रचना में अपने समय और उसकी विडम्बनाओं को उकेरने की कोशिश करता है। इसका आशय यह भी होता है कि इन विडम्बनाओं को दूर किया जाना चाहिए। एक समय का सच आखिरकार ‘अतीत का वह सच’ बन जाता है जिसको वर्तमान ख़ारिज कर चुका होता है। काश रचनाकार की रचनाएँ भी ‘अतीत का सच’ बन पातीं। सही अर्थों में यह किसी भी रचनाकार का असल मन्तव्य भी होता है। मुक्तिबोध आजीवन संघर्ष के साक्षी रहे। इसीलिए संघर्ष उनकी रचनाओं का प्रत्यक्ष है। काश ‘सामूहिक मुक्ति’ का मुक्तिबोध का सपना साकार हो पाता। यह पुस्तक एक तरह से उन सपनों की पड़ताल है।

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Authors

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

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