Mukutdhari Chooha
Mukutdhari Chooha
₹275.00 ₹225.00
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Author: Rakesh Tiwari-Vani
Pages: 132
Year: 2014
Binding: Hardbound
ISBN: 9789350727690
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
मुकुटधारी चूहा
बाज़ार के ‘विराट’ विस्तार का ‘सूक्ष्म’ प्रभाव, उपभोक्तावाद की चपेट में आये कमज़ोर तबकों की त्रासदी और सामाजिक ताने-बाने से मौक़ापरस्त छेड़छाड़ इन कहानियों का मूल स्वर है। राजनीतिक रंग कुछ कहानियों में मुखर है तो कहीं उसकी छायाएँ साथ चलती हैं। संग्रह की कहानियों में कारुणिक स्थितियाँ अचानक उसी तरह सामने आती हैं जैसे चलते-चलते फोड़े पर रगड़ लग जाए। रोचक क़िस्सागोई की तरह शुरू होने वाली इन कहानियों में परत-दर-परत कई ऐसी गाँठें खुलने लगती हैं जो पाठकों को चौंकाती चली जाती हैं। ये सिर्फ़ त्रासदी के साथ खत्म होने वाली कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि कई बार इनके चरित्र यथार्थ की भयावहता से भिड़ते हैं और अपनी अदम्य जिजीविषा का परिचय देते हैं।
कथा-कौशल और भाषा का खिलंदड़ापन पाठक को आद्यन्त बाँधे रखता है। साथ ही अपने समय के प्रश्नों और चुनौतियों से जूझने वाली इन कहानियों का एक व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य है। इनमें एक पत्रकार की पैनी नज़र है, किन्तु पत्रकारीय जल्दबाज़ी नहीं है। ये कहानियाँ पीड़ित व आक्रान्त पक्ष, और ख़ासतौर पर स्त्रियों के आक्रोश को खुल कर ‘डिफेंड’ करतीं अथवा उन्हें ग़ुस्सा दिलाती हैं। कहानियों में ‘कॉमिक’ स्थितियाँ कई बार गुदगुदाती लगती हैं, लेकिन हमारे समय और व्यवस्था को लेकर गहरा व्यंग्य इनमें छुपा है।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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