Munda Aur Oraon Ke Prathagat Kanoon

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Munda Aur Oraon Ke Prathagat Kanoon

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465.00 425.00

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Author: Jay Prakash Gupta

Availability: 5 in stock

Pages: 241

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789354919442

Language: Hindi

Publisher: National Book Trust

Description

मुंडा और उराँव के प्रथागत कानून

प्रथा शुरुआती समय में कानून का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, कानून व्यवस्था विकसित होने के साथ इसका महत्व लगातार कम होता गया। विशेष रूप से भारतीय कानून के विकास के दस्तावेज के रूप में अब इनका प्रयोग प्रायः नहीं किया जाता। इसका कारण इसे आंशिक रूप से नए विधानों एवं दृष्टांतों द्वारा अधिक्रमित कर लिया जाना और आंशिक रूप से इनकी विधि-निर्माण दक्षता पर कड़े प्रतिबंध लगाना है। यह भारतीय कानून का लंबे समय से स्वीकृत सिद्धांत था कि जो कानून विधि उत्पाद नहीं था, उसका स्रोत प्रथा होती थी। कानून या तो लिखित सांविधिक कानून था या अलिखित सामान्य या प्रथागत कानून। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ऐसे कानूनों के प्रसारण के कारण आज भी ये मौखिक कानून अस्तित्व में हैं। प्रथा समाज के लिए वही है जो कानून राज्य के लिए। संविधान भी प्रथा को कानून के गैर-विधायी स्रोत के रूप में खासतौर पर मान्यता देता है।

मुंडा और उराँव जनजाति झारखंड के छोटानागपुर संभाग में पाई जाने वाली आदिम जनजातियाँ हैं। इन जनजातियों में प्रथागत कानून लगभग समान होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में दोनों ही जनजातियों की प्रथा का कानूनी पहलू; इन प्रधाओं की संवैधानिक वैधता; मुंडा और उराँव की विभिन्‍न संस्थाओं; छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम; जीवन-चक्र संबंधी रिवाज और प्रधागत कानून; वन, अर्थव्यवस्था एवं प्रथागत कानून; सामाजिक अपराधों से संबंधित प्रथागत कानून सहित कई कानूनों का विवरण दिया गया है। यह पुस्तक टी.आर.आई. (पारखंड जनजातीय कल्याण एवं शोध संस्थान) की ओर से किया गया शोध कार्य है।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2023

Pulisher

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