Murtiyon Ke Jangal Mein

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Murtiyon Ke Jangal Mein

Murtiyon Ke Jangal Mein

199.00 159.00

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199.00 159.00

Author: Subhash Rai

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789395160247

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

मूर्तियों के जंगल में

यात्रा, सम्भावना, प्रतिरोध के सम्मिश्रण से सुभाष राय की कविताएँ निर्मित होती हैं। यात्रा बाहर से भीतर की भी है और भीतर से बाहर की भी दोनों दिशाओं की इस यात्रा का उद्देश्य वर्तमान सन्दर्भ में मनुष्य की नियति के किसी या किन्हीं अंशों को प्रस्तावित करना है। इस यात्रा के विवरण उन सन्दर्भों का निर्माण करते हैं, जिनसे मानव जीवन का वह वर्तमान प्रस्तावित होता है जिसे कवि व्याख्यायित करना चाहता है।

ये व्याख्याएँ, सन्दर्भ आधुनिक मनुष्य की सम्भावनाएँ उज्जीवित रखती हैं। जो कवि सम्भावनाओं को अपने काव्य में एक भाव या मूल्य की तरह देखता है या रखता है, वह समाज की सकारात्मकता को प्रस्तावित करता है। सुभाष राय की कविताएँ सकारात्मकता को प्रस्तावित करते हुए समाज की प्रतिगामी शक्तियों का विरोध करती हैं। नकार और स्वीकर का सन्तुलन बेहद सधा है। इसीलिए प्रतिरोध या नकार कोई नारा नहीं बनता और स्वीकार न ही आत्मसमर्पण या आत्मश्लाघा में बदलता है।

इनमें वर्तमान जीवन बेहद गहरे तक धँसा है। उस जीवन को प्रस्तावित करने के लिए गहरे राजनीतिक बोध की अनिवार्य आवश्यकता होगी। ये कविताएँ कवि के गहरे राजनीतिक बोध का संकेत करती हैं। इस बोध के कारण जीवन के छिपे हुए विद्रूपों को भी वे देख पाते हैं। इसको रेखांकित करने में भाषा की व्यंग्यात्मकता और व्यंजना शञ्चित का कवि बहुधा इस्तेमाल करता है।

आशा है कि इस संग्रह को पाठकों का स्नेह मिलेगा।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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