Muskan Ka Madersa
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Description
मुसकान का मदरसा
पिछले पाँच दशकों में शैक्षणिक-विकास की दिशा में काफी कुछ घटित हुआ है। सकारात्मक भी और नकारात्मक भी। जहाँ शिक्षा के प्रति हमारी सामाजिक रुचि में इजाफा हुआ है, वहीं यह भी सत्य है कि शिक्षा और शिक्षण-पद्धतियों की गुणवत्ता में कोई मूलभूत परिवर्तन नहीं आया है। साक्षरता का प्रतिशत बढ़ रहा है, लेकिन निरक्षरों की संख्या में भी कोई कमी नहीं आई है। हमारे शिक्षा-तंत्र का ढाँचा आज भी शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक बालक को भविष्य का कोई नक्शा और एक सुदृढ़ व्यक्तित्व की गारंटी देने में असमर्थ है। जो शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं उनमें उनकी अपनी और स्कूलों की संपन्नता-विपन्नता से वर्ग-भेद की खाई भी कम. नहीं हो पा रही है और जो शिक्षा के क्षेत्र से बाहर हैं, उन्हें इस तरफ आकर्षित करने के लिए जिस लगन, कर्मठता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है; वह भी कहीं देखने में नहीं आती-न सरकारी प्रयासों में और न व्यक्तिगत या संस्थागत स्तर पर।
इस पुस्तक में समाहित आलेखों की प्रमुख चिंता यही है। लेखक-द्वय ने प्राथमिक शिक्षा को अपने चिंतन का केंद्रीय बिंदु बनाते, हुए शिक्षा के पूरे परिदृश्य को समझने और विश्लेषित करने का प्रयास किया है। इन आलेखों के संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इनकी रचना शिक्षा के क्षेत्र में व्यावहारिक स्तर पर काम करते हुए हुई; विभिन्न शिक्षाविदों, शिक्षकों तथा दूसरे सहयोगियों के साथ काम करते हुए जो अनुभव और सबक हासिल हुए, लेखक-द्वय ने उन्हीं को इन आलेखों में पिरोने की कोशिश की है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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