Nagaare Ki Tarah Bajte Shabda

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Nagaare Ki Tarah Bajte Shabda

Nagaare Ki Tarah Bajte Shabda

75.00 60.00

In stock

75.00 60.00

Author: Nirmila Putul

Availability: 4 in stock

Pages: 96

Year: 2005

Binding: Hardbound

ISBN: 8126310154

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

नगाड़े की तरह बजते शब्द

मूलतः संताली भाषा में लिखी सुश्री निर्मला पुतुल की कविताएँ एक ऐसे आदिम लोक की पुनर्रचना हैं जो आज सर्वग्रासी वैश्विक सभ्यता में विलीन हो जाने के कगार पर है।

आदिवासी जीवन, विशेषकर स्त्रियों का सुख-दुःख अपनी पूरी गरिमा और ऐश्वर्य के साथ यहाँ व्यक्त हुआ है। आज की हिन्दी कविता के प्रचलित मुहावरों से कई बार समानता के बावजूद कुछ ऐसा तत्त्व है इन कविताओं में, संगीत की एक ऐसी आहट और गहरा आर्त्तनाद है, जो अन्यत्र दुर्लभ है। इन कविताओं की दुनिया बाहामुनी, चुड़का सोरेन, सजोनी किस्कू और ढेपचा की दुनिया है, फूलों-पत्रों-मादल और पलाश से सज्जित एक ऐसी कठोर, निर्मम दुनिया जहाँ ‘राते के सन्नाटे में अँधेरे से मुँह ढाँप रोती हैं नदियाँ’। यह दुनिया सिद्धू-कानू और बिरसा के महान वंशजों की दनिया भी है, ‘पहाड़ पर अपनी कुल्हाड़ी की धार पिजाती’ दुनिया। वह आदिम संसार अपने सर्वोत्तम रूप में ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’ कविता में व्यक्त हुआ है। यह एक ऐसी कविता है दिसमें एक साथ आदिवासी लोकगीतों की सांद्र मादकता, आधुनिक भावबोध की रूक्षता और प्रतिरोध की गम्भीर वाणी गुम्फित है।

ये कविताएँ स्वाधीनता के बाद हमारे राष्ट्रीय विकास के चरित्र पर प्रश्न करती है। सभ्यता के विकास और प्रगति की अवधारणा को चुनौती देती ये कविताएँ एक अर्थ में सामाजिक-सांस्कृतिक श्वेत-पत्र भी हैं।

मूल संताली भाषा की परंपरा नें निर्मला पुतुल के स्थान से अनभिज्ञ होते हुए भी मुझे लगता है कि हिन्दी रूपान्तर में इन कविताओं का स्वाद और संदेश निश्चय ही भिन्न है। प्रतिरोध की कविता की महान परम्परा में जहाँ ‘नगाड़े की तरह बजते हैं शब्द’ निर्मला पुतुल का यह संग्रह अपना स्थान प्राप्त करेगा –

आज की तारीख के साथ

कि गिरेंगी जितनी बूँदें लहू की पृथ्वी पर

उतनी है जनमेगी निर्मला पुतुल

हवा में मुट्ठी-बँधे हाथ लहराते हुए !’

– अरुण कमल

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2005

Pulisher

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