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नागनिका
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद लगभग साढ़े चार सौ वर्षों तक सातवाहन (शालिवाहन) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है। इसी वश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी – ‘नागनिका’। विश्व के इतिहास में नागनिका पहली महिला-शासक मानी जा सकती है। उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधु तथा सिरी सातकरणी र्नी की पत्नी है। युवावस्था में ही सिरी सातकरणी का निधन हो जाने से वह राज्य-कार्यभार संभालती है। सातवाहन काल में वृहद महाराष्ट्र जिसमें कर्णाटक-कोंकण तक सम्मिलित थे, की राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी। महारानी नागनिका कहने को तो शक-कन्या है लेकिन सातवाहन के ब्राह्मण कुल से सम्बद्ध होते ही वह आर्यसंस्कृति के संरक्षण एवं समृधि के लिए तन-मन से योगदान करती है। शासन की व्यवस्था में जहाँ वह सर्वजनहिताय समर्पित है वहीँ गृहकलह के कारण साम्राज्य विघटित न हो, इसके लिए स्वजन को भी दण्डित करने में नहीं हिचकती।
कहना न होगा कि प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों की वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार कराता है, उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट सिरी सातकरणी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरुपित हुआ है। इतिहास के शोधकर्ताओं से उपलब्ध सामग्री तथा लेखिका का लेखन स्वातंत्र्य इस उपन्यास को विशेष लालित्य प्रदान करता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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