Nagarjuna Aur Unaki Kavita

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Nagarjuna Aur Unaki Kavita

Nagarjuna Aur Unaki Kavita

350.00 265.00

In stock

350.00 265.00

Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 106

Year: 2016

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126729364

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

नागार्जुन और उनकी कविता

खड़ीबोली कविता की परंपरा भी प्रचुर समृद्ध है। नागार्जुन इस परंपरा की महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं। उनकी कविता के अनेक पक्ष हैं, यथा-आत्माभिव्यक्ति, प्रगतिशीलता, राजनीति, प्रकृति आदि। कुछ कथात्मक कविताओं में उन्होंने पौराणिक आख्यानों को भी आधार बनाया है, पर उसे आधुनिक संवेदना से नया बना दिया है। नागार्जुन के प्रत्येक पक्ष की कविता में गजब का वैविध्य है। यह वैविध्य अंतर्वस्तु के स्तर पर भी है और रूप के स्तर पर भी। उनकी तरह अनेक प्रकार की भाषाओं का प्रयोग करनेवाले कवि आधुनिक काल में निराला के अलावा शायद ही कोई हुए हों। आम तौर पर उन्हें जन-कवि माना जाता है, लेकिन वे उसके साथ-साथ अभिजन-कवि भी थे।

अभी कुछ दिन पहले ‘कवि अज्ञेय’ नामक डा. नवल की आलोचना-पुस्तक प्रकाशित हुई है। उससे स्पष्ट हो जाता है कि अज्ञेय और नागार्जुन एक दूसरे के उलट नहीं थे, बल्कि उनमें मिलन के अनेक बिंदु थे। अज्ञेय की कविता का नायक भी जनसाधारण था और नागार्जुन ने भी अनेक स्थलों पर अभिजात संवेदना का परिचय दिया है। उनकी कविता के संबंध में ज्यादा न कहकर उनकी कुछ पंक्तियाँ उद्धृत की जाती हैं, जिससे उनकी अभिजात संवेदना और भाषा-शैली का भी पता चल सके। एक कविता में उन्होंने राष्ट्रगान की याद दिलानेवाला यह चित्र अंकित किया है: ‘दक्षिण में है नारिकेल-पूगीवन वलयित केरल जनपद/ तमिलनाडु की धनुष्कोटि-कन्याकुमारिका/ पश्चिम जलनिधि सिंध-कच्छ-सौराष्ट्र/और गुर्जर- परिशोभित/उत्तर का दिक्पाल तुम्हारा महानाम उत्तुंग भाल/गौरीपति शंकर-तपःपूत कैलाश शिखर दंडायमान है/प्राची में है वरुणालय वह वंग-विभूषण/और वक्ष पर कौस्तुभ मणि-सा विंध्य पड़ा है/जाने कब से !’ डा. नवल की यह पुस्तक निश्चय ही लोकप्रियता प्राप्त करेगी, ऐसा विश्वास है।

Additional information

Weight 0.5 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2016

Pulisher

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