Nagpash Mein Stree

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Nagpash Mein Stree

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495.00 395.00

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Author: Geeta Shree

Availability: 5 in stock

Pages: 212

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126719006

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

नागपाश में स्त्री

आज बाजार के दबाव और सूचना-संचार माध्यमों के फैलाव ने राजनीति, समाज और परिवार का चरित्र पूरी तरह बदल डाला है, मगर पितृसत्ता का पूर्वग्रह और स्त्री को देखने का उसका नजरिया नहीं बदला है, जो एक तरफ स्त्री की देह को ललचायी नजरों से घूरता है, तो दूसरी तरफ उससे कठोर यौन-शुचिता की अपेक्षा भी रखता है। पितृसत्ता का चरित्र वही है। हां, समाज में बड़े पैमाने पर सक्रिय और आत्मनिर्भर होती स्त्री की स्वतंत्र चेतना पर अंकुश लगाने के उसके हथकंडे जरूर बदले हैं।

मगर खुशी की बात यह है कि इसके बरक्स बड़े पैमाने पर आत्मनिर्भर होती स्त्रियों ने अब इस व्यवस्था से निबटने की रणनीति अपने-अपने स्तर पर तय करनी शुरू कर दी है। आखिर कब तक स्त्रियां ऐसे समय और नैतिकता की बाट जोहती रहेंगी जब उन्हें स्वतंत्र और सम्मानित इकाई के रूप में स्वीकार किया जाएगा ? क्या यह वाकई जरूरी है कि स्त्रियां पुरुषों के साहचर्य को तलाशती रहें ? क्यों स्त्री की प्राथमिकताओं में नई नैतिकता को जगह नहीं मिलनी चाहिए ?

इस पुस्तक में साहित्य, पत्रकारिता, थिएटर, समाज-सेवा और कला-जगत की ऐसी ही कुछ प्रबुद्ध स्त्रियों ने पितृसत्ता द्वारा रची गई छद्म नैतिकता पर गहराई और गंभीरता से चिंतन किया है और स्त्री-मुक्ति के रास्तों की तलाश की है। प्रभा खेतान कहती हैं, ‘नारीवाद, राजनीति से संबंधित नैतिक सिद्धांतों को पहचानना होगा, ताकि सेवा जैसा नैतिक गुण राजनीतिक रूपांतरण का आधार बन सके।’

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Authors

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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