- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
नमो अन्धकारं
गुरू का पैसार बहुत बड़ा है। वाणी में अद्भुत शक्ति है। अफ़वाहों का अतुल भंडार है गुरू के पास। कनफूँको की कमी नहीं है। अगर गुरू को पता चल गया बेटा, कि तुम फरजी बनने के फेर में गुरू से ही ऐंड़ ले रहे हो तो समझ लो, ऐसी लँगड़ी लगेगी कि हमेशा के लिए गुड़ुम्। कहीं कोई है, कोई है जिसका पता नहीं। जिसका तुम्हें कभी पता नहीं चलेगा। चौबीसों घंटे पहरा देते रहो – तब भी नहीं। वह दिन और रात के समय के बाहर के समय में कहीं स्थित है। वहाँ तुम नहीं पहुँच सकते। वहाँ के दोनों निश्चिन्त-निरावृत्त विहार करते हैं। और तुम पर हँसते हैं। वह हँसी तुम्हें कभी सुनाई नहीं देगी। खोजते रहो जीवन-भर – उस अलक्ष्य-निराकार के पीछे पड़े रहो। ठेंगा दिखाता हुआ वह तुम्हारे सामने से गुज़र जाएगा और तुम्हारा जीवन इसी में चुक जाएगा। गड़बड़ है। बहुत गड़बड़ है। कुछ भी हो सकता है। तुम पर कोई भी इल्ज़ाम आ सकता है। किसी पर भी। नहीं, संग-साथ ठीक महीं। दरअसल, दुनिया एक हिलता हुआ पर्दा है। तुम देख सकते हो कि मुर्दे की बगल में कोई संभोग-रत है। या तुम यही कहोगे कि पर्दा हिल रहा है। अनरीयल, अनरीयल – तुम चिल्लाओगे। जैसे नक्काशीदार सोने के गहने पिघलाने के बाद एकसार हो जाते हैं। सिपऱ्$ स्वर्ण-द्रव बच रहता है – अपनी सुनहली आभा में झिलमिल-झिलमिल करता हुआ, वही हाल प्रेम में लड़की का होता है। और शैव्या भी वही रह गई – अपनी नक्काशी के पास एक झिलमिल-सी आभा। कुछ भी जुड़ा नहीं उसमें, बल्कि प्रेम ने उसे विनष्ट कर दिया। पहले वह क्या थी और अब क्या है! छुएँ तो बचपन हाथ नहीं लगेगा। एक बार नक्काशी खंड-खंड हुई तो फिर वापस नहीं आने की।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
Reviews
There are no reviews yet.