Namwar Ki Drishti Mein Muktibodh

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Namwar Ki Drishti Mein Muktibodh

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399.00 299.00

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Author: Namvar Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 152

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9789390678273

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

नामवर की दृष्टि में मुक्तिबोध

मुक्तिबोध की भाषा पर अनगढ़ता का आरोप लगाते समय इस बारे में सोच देखना चाहिए कि जिस तिलिस्मी दुनिया की सृष्टि वे कविता में कर ले जाते हैं वह क्या असमर्थ भाषा से कभी सम्भव है ? वस्तुतः ‘अँधेरे में’ का ख़ौफ़नाक काव्य-संसार समर्थ भाषा की ही सृष्टि है। मुक्तिबोध जब कहते हैं कि “बिम्ब फेंकती वेदना नदियाँ” तो वे एक तरह से उस कवि-कल्पना की ओर भी संकेत करते हैं जो अपनी अजस्र सृजनशीलता में बिम्ब फेंकती चलती है। वस्तुतः कवि की शक्ति कल्पना के उस वेग और विस्तार से मापी जाती है जिसे अंग्रेज़ी में ‘स्वीप ऑफ़ इमेजिनेशन’ कहते हैं; और कहना न होगा कि ‘अँधेरे में’ की कल्पना-शक्ति अपने समवर्ती समस्त कवियों में सबसे विकट और विस्तृत है। इसीलिए वे प्रगीतों के युग में भी महाकाव्यात्मक कल्पना के धनी और नाटकीय प्रतिभा के प्रयोगकर्ता हैं।

वस्तुतः मुक्तिबोध की अभिव्यक्ति की अर्थवत्ता फटकल शब्द-प्रयोगों से नहीं आंकी जा सकती और न दो-चार बिम्बों अथवा भाव-चित्रों से मापी जा सकती है। उनकी अभिव्यक्ति की गरिमा का पता उस विराट बिम्ब-लोक से चलता है जो ‘अँधेरे में जैसी महाकाव्यात्मक कविता अपनी समग्रता में प्रस्तुत करती है।

– इसी पुस्तक से

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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